पापमोचनी एकादशी का महत्व: पापमोचनी एकादशी व्रत रखने और इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करने से व्यक्ति को कई बड़े पापों से छुटकारा मिल जाता है। ऐसे व्यक्ति मोक्ष के हकदार बन जाते हैं। मान्यता है इस व्रत का पालन करने से गायों के दान से भी ज्यादा पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद षोडशोपचार विधि से भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को धूप, दीप, फूल, भोग, चंदन, फल आदि अर्पित करें। पूजा में भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते जरूर अर्पित करें। पूजा के बाद व्रत कथा जरूर पढ़ें। भगवान विष्णु की आरती करें। संभव हो तो रात भर जागरण करें। इस व्रत में अन्न का सेवन नहीं किया जाता है। फलों का सेवन कर सकते हैं। व्रत का पारण द्वादशी के दिन होता है। व्रत रखने वाले यथाशक्ति जरूरतमंदों को दान भी जरूर करें।
कथा अनुसार चैत्ररथ नाम के एक सुंदर वन में प्रख्यात ऋषि च्यवन अपने पुत्र मेधावी के साथ रहते थे। जब मेधावी तपस्या कर रहे थे तभी स्वर्ग से एक अप्सरा मंजूघोषा वहां से गुजरी। वो अप्सरा मेधावी को देखकर उनकी दीवानी हो गई। अप्सरा ने मेधावी को अपनी तरफ आकर्षित करने का काफी प्रयत्न किया। लेकिन वो असफल रही। अप्सरा मंजूघोषा की ये हरकतें कामदेव देख रहे थे। मेधावी को लुभाने के लिए कामदेव ने भी मंजूघोषा की मदद की जिस कारण अंत में दोनों सफल हुए।