संतान की कामना करनेवाले, पुत्र प्राप्ति की चाह रखनेवाले इस व्रत को कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार पति—पत्नी दोनों को यह व्रत रखना चाहिए। जिनकी संतान हैं वे उनके सुख की कामना से यह व्रत कर सकते हैं. इस दिन सुबह स्नान के बाद विष्णुजी का विधिविधान से पूजन करें।
पूजाघर में विष्णुजी के विग्रह के समक्ष दीप-धूप जलाएं और भगवान को टीका लगाते हुए अक्षत अर्पित करें। फिर भोग लगाएं। व्रत की कथा का पाठ करें और विष्णु-लक्ष्मीजी की आरती करें। इसके बाद संतान प्राप्ति और संतान के लिए सुख की कामना करते हुए विष्णुजी से प्रार्थना करें. दिनभर व्रत रखें और द्याद्यशी पर सुबह व्रत का पारण करें।
जरूरतमंदों को अन्न—कपडों का दान जरूर दें। पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के बाल गोपाल रूप की पूजा की जाती है. इसके साथ ही पीपल के पेड़ की पूजा भी करते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि यह सामान्य व्रत नहीं है। इस व्रत में कठिन नियमों का पालन करना होता है।
इस दिन मांस-मदिरा, प्याज, लहसुन, बैंगन, पान-सुपारी, मूली, मसूर दाल, नमक आदि का परहेज करना चाहिए। भोजन में चावल का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यथासंभव निराहार रहें, ज्यादा जरूरी हो तो फलाहार ही करना चाहिए। पति-पत्नी दिनभर भगवान विष्णु का ध्यान करें या कीर्तन करें। संभव हो तो रात में भी भजन—कीर्तन करते हुए जागरण करें।