अगर पुराणों की मानें तो यह जानकर हैरानी होगी कि राखी ना केवल भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का त्यौहार है बल्कि पति-पत्नी के संबंध और सुहाग से भी जुड़ा हुआ पर्व है। भविष्यपुराण के अनुसार, सतयुग में वृत्रासुर नाम का एक असुर हुआ, जिसने देवताओं के पराजित करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। वृत्रासुर का वरदान था कि उस पर किसी भी अस्त्र शस्त्र का प्रभाव नहीं पड़ेगा। यही कारण था इंद्र बार-बार उससे युद्ध में हार जा रहे थे। देवताओं की विजय के लिए महर्षि दधिचि ने अपना शरीर त्याग दिया और उनकी हड्डियों से अस्त्र-शस्त्र बनाए गए। दधिचि के हड्डियों से ही इंद्र का अस्त्र वज्र भी बनाया गया।
भविष्यपुराण के अनुसार, वृत्रासुर से युद्ध करने से पहले इंद्र अपने गुरु बृहस्पति के पास पहुंचे और कहा कि मैं अंतिम बार युद्ध करने जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि या तो मैं विजय होकर लौटूंगा या वीरगति को प्राप्त होकर। इस बात को सुनकर देवराज इंद्र की पत्नी चिंतित हो गई और अपने तपोबल से अभिमंत्रित करके एक रक्षासूत्र देवराज की कलाई बांध दी। जिस दिन इंद्राणी शची ने देवराज की कलाई में रक्षासूत्र बांधी थी, उस दिन सावन माह की पूर्णिमा तिथि थी।
कथाओं के अनुसार, इस सूत्र को बांधकर देवराज युद्ध के मैदान में उतरे तो उनका साहस और बल अद्भुत दिखा। देवराज ने इस युद्ध में वृत्रासुर का वध कर दिया और स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। इससे साफ होता है कि
सावन पूर्णिमा के दिन पत्नी को भी पति की कलाई में रक्षासूत्र बांधना चाहिए।