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माथे की लकीरें कैसे बताती हैं भाग्य? जानें क्या है इसका किस्मत से कनेक्शन

माथे पर बनने वाले सभी लकीरों का इंसान के भाग्य से जुड़ा हुआ है।

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अक्सर हम लोगों से कहते सुना है कि लकीरों में इंसान का भाग्य कैद होता है, चाहे वह लकीरें हाथ की हो या माथे की। सभी लकीरों का अपना अलग-अलग महत्व होता है। आज हम आपको माथे की लकीरों के बारे में बताने जा रहे हैं।


दरअसल, माथे की सभी लकीरों का अलग-अलग महत्व होता है। माथे पर बनने वाले सभी लकीरों का इंसान के भाग्य से जुड़ा हुआ है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि माथे पर बनने वाले लकीरों का मतलब क्या होता है। आइये जानते हैं माथे पर बनने वाले लकीरों के बारे में...


पहली लकीर

माथे की पहली लकीर जो भौंह के काफी निकट होती है, उसे धन की लकीर कहा जाता है। बताया जाता है कि यह लकीर जितनी साफ और स्पष्ट होगी, उतनी ही अच्छी आर्थिक दशा होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस लकीर का टूटा होना या छोटा होना बार-बार आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव दिखाता है।


दूसरी लकीर

भौंह के निकट की लकीर के बाद जो लकरी होती है, उसे दूसरी लकीर कहा जाता है। बताया जाता है कि ये लकीर स्वास्थ्य की लकीर होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ये लकीर गाढ़ी और साफ होने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है, जबकि पतली और हल्की होने से बीमार रहता है। इस लकीर का टूटा होना या ऊपर-नीचे होना लंबे समय तक बीमारी का संकेत देता है।


तीसरी लकीर

माथे पर बनने वाली तीसरी लकीर भाग्य की होती है। यह लकीर बहुत ही कम लोगों के माथे पर पायी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति के माथे पर यह लकीर होती है, वह भाग्यवान होता है।


चौथी लकीर

ये लकीर बहुत ही कम लोगों के माथे पर होती है। जिनके माथे पर होती है, उनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। आम-तौर पर ऐसे लोग 40 साल के बाद खूब सफलता पाते हैं और एक से अधिक संपत्ति बनाते हैं।


पांचवीं लकीर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माथे पर पांचवीं लकीर का होना ढेर सारी लकीरों का होना दिखाता है और ये लकीरें व्यक्ति को चिंतित रखती है। माना जाता है कि ऐसे लोग किसी न किसी कारण अक्सर चिंतित रहते हैं। ऐसे लोग त्याग और वैराग्य की ओर चले जाते हैं।


छठी लकीर

नाक की सीध में ऊपर जाने वाली सीधी लकरी छठी लकीर होती है। इसे दैवीय लकीर कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसी लकीर वाले लोग आश्चर्यजनक रूप से उन्नति कर जाते हैं क्योंकि इनके ऊपर दैवीय कृपा होती है।