अमावस्यांत कैलेंडर में महीने की शुरुआत अमावस्या के अगले दिन से होती है और महीना अमावस्या तक चलता है। यानी पहले पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष और इसका अंत कृष्ण पक्ष से होता है। इसीलिए इसे अमावस्यांत चंद्र हिंदू कैलेंडर कहा जाता है। वहीं पूर्णिमांत कैलेंडर में महीने की शुरुआत पूर्णिमा के अगले दिन यानी कृष्ण पक्ष से होती है और महीना पूर्णिमा के साथ खत्म होता है। इसे पूर्णिमांत चंद्र हिंदू कैलेंडर कहा जाता है।
ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti Shubh Muhurt)
अमावस्या तिथि का आरंभः 18 मई रात 9.42 बजे से
अमावस्या तिथि का समापनः 19 मई रात 9.22 बजे तक शनि जयंती पर शुभ संयोग (Shani Jayanti Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार शनि योग पर विशेष योग बन रहा है। इस दिन शोभन योग में शनि पूजा होगी। यह योग 18 मई को 7.37 बजे से 19 मई शाम 6.16 बजे तक है। इस दिन शनि स्वराशि कुंभ में रहकर शश राजयोग बनाएंगे। ऐसे में शनि देव की पूजा से विशेष फल मिलेगा। इसी के साथ इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में रहकर गजकेसरी राजयोग बनाएंगे।
इसके अलावा अन्य शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त: 19 मई 12.09 पीएम से 1.01 पीएम
विजय मुहूर्तः 19 मई 2.46 से 3.38 पीएम