पौराणिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से भरा होता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात 12 बजे के बाद चंद्रमा धरती पर अमृत बरसाता है। यही कारण है कि अमृत को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करने के लिए खीर को चांद की रोशनी में रखी जाती है।
इस खीर को सुब में प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों किया जाता है? आखिर क्यों कहा जाता है चंद्रमा की रोशनी में रखे खीर खाने से सेहत से जुड़े फायदे होते हैं? आइये जानते हैं…
आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद है खीर मान्यता है कि यह खीर आंखों से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को भी बहुत फायदा पहुंचाती है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा का चांद बेहद चमकीला होता है। इस दिन चांद को एकटक देखते रहने से आंखों की रोशनी में सुधार होता है। कहा तो ये भी जाता है कि इस रात को चांद की रोशनी में सुई में 100 बार धागा डालने से आंखों की रोशनी बढ़ाती है।
दमा रोगियों के लिए अमृत है यह खीर मान्यता है कि दमा रोगियों के लिए यह खीर अमृत समान होती है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने के बाद सुबह 4 बजे के आसपास दमा रोगियों को खा लेनी चाहिए। माना जाता है कि इस खीर को खा लेने से दमा ठीक हो जाता है।
मलेरिया से बचाता है यह खीर जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मच्छरों के काटने से शरीर में मलेरिया के बैक्टीरिया फैलते हैं। कहा जाता है कि मलेरिया फैलने का मुख्य कारण शरीर में पित्त का बढ़ना या पित्त का असंतुलन होना होता है। पित्त के असंतुलन से बचने के लिए शरद पूर्णिमा का खीर खास तौर पर खाने की परंपरा है। माना जाता है कि यह खीर हमारे शरीर में पित्त का प्रकोप कम करती है और मलेरिया के खतरे को कम करती है।