धार्मिक मान्याओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन कई वैद्य जीवन रक्षक विशेष औषधियों का निर्माण करते हैं। कहा ये भी जाता है कि दशहरा से लेकर पूर्णिमा तक चंद्रमा से विशेष प्रकार का रस झरता है, जिसे बोलचाल की भाषा में अमृत कहा जाता है, जो अनेक रोगों में संजीवनी की तरह काम करता है।
यही कारण है कि शरद पूर्णिमा के रात खीर बनाकर छत पर राखी जाती है ताकि वह औषधि रूप धारण कर सके। कहा जाता है कि जब चंद्रमा की किरणें खीर पर पड़ती है तो वह अमृतमय औषधी के रूप में काम करती है। बताया जाता है यह खीर मलेरिया और दमा में विशेष तौर पर काम करती है।
वहीं, अगर वैज्ञानिक दृष्टि से बात किया जाए तो पूर्णिमा की रात बहुत लाभकारी होता है। दरअसल, इस दिन मौसम बदलता है और शीत ऋतु की शुरुआत होती है। यही कारण है कि इस दिन के बाद गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करना शुरू हो जाता है।