scriptपीना तो दूर, इस नदी के पानी को छूने से भी डरते हैं लोग | Story of karmanasa river up bihar | Patrika News

पीना तो दूर, इस नदी के पानी को छूने से भी डरते हैं लोग

locationभोपालPublished: Jun 28, 2019 02:31:21 pm

Submitted by:

Devendra Kashyap

karmanasa : एक ऐसी नदी, जिसके पानी को भी लोग छूने से डरते हैं। इस नदी का नाम है कर्मनाशा। दिलचस्प बात ये है कि यह नदी बाद में गंगा में जाकर मिल जाती है।

karmanasa river

पीना तो दूर, इस नदी के पानी को छूने से भी डरते हैं लोग

भारत में कई नदियां है। इन सभी में गंगा सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। गंगा नदी का पानी लोग घर में रखते हैं पूजा-पाठ में प्रयोग करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके पानी को भी लोग छूने से डरते हैं। इस नदी का नाम है कर्मनाशा ( Karmanasa River ) । दिलचस्प बात ये है कि यह नदी बाद में गंगा ( ganga ) में जाकर मिल जाती है।
कर्मनाशा दो शब्दों से बना है। पहला कर्म दूसरा नाशा… कर्म यानि काम और नाशा मतलब नाश होना। माना जाता है कि कर्मनाशा नदी का पानी छूने से काम बिगड़ जाते हैं और अच्छे कर्म भी मिट्टी में मिल जाते हैं। इस नदी को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। लोग बताते हैं कि पूर्व की समय इस नदी के किनारे रहनेवाले लोग फल-फूल खाकर रह जाते थे लेकिन इस नदी का पानी प्रयोग में नहीं लाते थे।
नदी के बारे में पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हरिशचंद्र के पिता सत्यव्रत एक बार अपने गुरु वशिष्ठ से सशरीर स्वर्ग में जाने की इच्छा व्यक्त की। गुरु वशिष्ठ ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद नाराज सत्यव्रत विश्वामित्र के पास चले गये और यही बात दोहराई। साथ ही उन्होंने वशिष्ठ के मना करने की बात भी बताई। वशिष्ठ से शत्रुता के कारण विश्वामित्र ने तप के बल पर सत्यव्रत को सशरीर स्वर्ग में भेज दिया। इसे देख इंद्रदेव क्रोधित हो गये और उन्हें उलटा सिर करके वापस धरती पर भेज दिया। विश्वामित्र ने हालांकि अपने तप से राजा को स्वर्ग और धरती के बीच रोक दिया। ऐसे में सत्यव्रत बीच में अटक गये और त्रिशंकु कहलाए।
राजा की लार से बन गई नदी

पौराणिक कथा के अनुसार देवताओं और विश्वामित्र के युद्ध के बीच सत्यव्रत धरती और आसमान में उलटे लटक रहे थे। इस बीच उनके मुंह से तेजी से लार टपकने लगी और यही लार नदी के तौर पर धरती पर प्रकट हुई। कहा जाता है कि ऋषि वशिष्ठ ने राजा सत्यव्रत को चंडाल होने का शाप दे दिया था। सत्यव्रत के लार से नदी बनने के कारण इसे शापित नदी कहा गया, जो आज भी लोग मानते हैं।
बक्सर के पास गंगा में मिल जाती है कर्मनाशा नदी

बिहार के कैमूर जिले से निकलने वाली कर्मनाशा नदी बिहार ( Bihar ) और उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) में बहती है। यह बिहार और यूपी को बांटती भी है। इस नदी की लंबाई करीब 192 किलोमीटर है। इस नदी का 116 किलोमीटर का हिस्सा यूपी में आता है जबकि बचे हुए 76 किलोमीटर बिहार और यूपी को बांटते हैं। कर्मनाशा नदी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से होकर बहती है और बक्सर के पास गंगा में मिल जाती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो