पंचमी पूर्णा संज्ञक तिथि रात्रि १२.५८ तक, तदुपरान्त षष्ठी नन्दा संज्ञक तिथि है। पंचमी तिथि में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य, स्थिर व चंचल कार्य सिद्ध होते हैं। पर पंचमी तिथि में ऋण नहीं देना चाहिए। षष्ठी तिथि में वास्तु, युद्ध, वस्त्रालंकार व अन्य मांगलिक कार्य प्रशस्त हैं। नक्षत्र: स्वाति ‘चर व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र रात्रि ९.०४ तक, इसके बाद विशाखा ‘मिश्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। स्वाति नक्षत्र में यथा आवश्यक देवालय, मांगलिक, वस्त्रालंकार, वास्तु, बीजादि रोपण आदि कार्य प्रशस्त हैं। विशाखा नक्षत्र में पदार्थ संग्रह व अलंकारादिक कार्य सिद्ध होते हैं।
योग: ध्रुव नामक नैसर्गिक शुभ योग सायं ५.४५ तक, तदन्तर व्याघात नामक नैसर्गिक अशुभ योग है। व्याघात नामक योग की प्रथम नौ घटी शुभ कार्यों में त्याज्य हैं। विशिष्ट योग: आज प्रात: ९.०४ से कुमार योग नामक शुभ योग है। कुमार योग में शिक्षा-दीक्षा लेना-देना, मैत्री और व्रतादि करना शुभ माना गया है। करण: कौलव नामकरण दोपहर १२.४९ तक, इसके बाद तैतिलादि करण हैं।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज प्रात: ९.४४ से दोपहर बाद २.०५ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा अपराह्न ३.३२ से सायं ४.५९ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१५ से दोपहर १.०१ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
शुभ मुहूर्त: आज स्वाति नक्षत्र में व्रतबंध, प्रसूति स्नान, सगाई-टीका, हलप्रवहण व विवाह के यथाआवश्यक शुभ मुहूर्त हैं।
व्रतोत्सव: आज रंगपंचमी तथा श्री जयंती है। चन्द्रमा: चन्द्रमा संपूर्ण दिवारात्रि तुला राशि में है। दिशाशूल: मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज पश्चिम दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है। राहुकाल: अपराह्न ३.०० से सायं ४.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।