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आज प्रदोष पर बने रवि और सिद्ध योग, इन उपायों से रातों रात बदल जाएगी लाइफ

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6 years ago
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द्वादशी भद्रा संज्ञक तिथि अपराह्न ३.४६ तक, इसके बाद त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। द्वादशी तिथि में यज्ञोपवीत, विवाहादि मांगलिक कार्य व सभी चर-स्थिर कार्य करने योग्य हैं। पर तेल लगाना व यात्रा नहीं करना चाहिए। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में क्षीण चन्द्र होता है। इसलिए यथासंभव शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते। नक्षत्र: श्रवण नक्षत्र अपराह्न ३.०६ तक, इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र है। दोनों ही ‘चर व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। जिनमें यथाआवश्यक देवस्थापन, वास्तु-गृहारंभ, प्रवेश, यात्रा, जनेऊ, मुण्डन, सवारी आदि विषयक कार्य शुभ कहे गए हैं।

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योग: शिव नामक योग रात्रि ९.५० तक, इसके बाद सिद्ध नामक योग है। दोनों ही नैसर्गिक शुभ योग है। विशिष्ट योग: दोष समूह नशक रवियोग नामक शुभ योग अपराह्न ३.०६ से अपराह्न ३.४६ तक है। करण: तैतिल नामकरण अपराह्न ३.४६ तक, इसके बाद गरादि करण हैं।

श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ९.३९ तक लाभ व अमृत, पूर्वाह्न ११.०८ से दोपहर १२.३६ तक शुभ तथा अपराह्न ३.३३ से सूर्यास्त तक चर व लाभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। बुधवार को अभिजित नामक मुहूर्त शुभ कार्यों में वज्र्य माना गया है।

शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज श्रवण नक्षत्र में नामकरण व हलप्रवहण के शुभ मुहूर्त व धनिष्ठा नक्षत्र में अन्नप्राशन का शुभ मुहूर्त है।

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व्रतोत्सव: आज प्रदोष व्रत, मेला कैलादेवी प्रारंभ (करौली राज.), पंचक प्रारंभ अंतरात्रि ४.१४ से, मीन संक्रान्ति प्रवेश रात्रि ११.४३ पर, पुण्यकाल सायं ५.१९ से प्रारम्भ। चन्द्रमा: चन्द्रमा अंतरात्रि ४.१४ तक मकर राशि में, इसके बाद कुम्भ राशि में रहेगा। दिशाशूल: बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज दक्षिण दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है। राहुकाल: दोपहर १२.०० से दोपहर बाद १.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।

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