नक्षत्र: पुनर्वसु ‘चर व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र रात्रि ९.५७ तक, इसके बाद पुष्य ‘क्षिप्र व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। यदि समयादि शुद्ध व तिथ्यादि ग्राह्य हो तो पुनर्वसु नक्षत्र में शांति, पुष्टता, यात्रा, वास्तु व अलंकारादिक कार्य और पुष्य नक्षत्र में सभी चर-स्थिर कार्य, शांति-पौष्टिकादिक कार्य विवाह के अतिरिक्त शुभ माने गए हैं।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ९.४२ तक लाभ व अमृत, पूर्वाह्न ११.०० से दोपहर १२.१८ तक शुभ तथा दोपहर बाद २.५३ से सूर्यास्त तक चर व लाभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। बुधवार को अभिजित नामक मुहूर्त शुभ कार्यों में वर्जित कहा गया है।