चतुर्थी रिक्ता संज्ञक तिथि अपराह्न ३.३४ तक, फिर पंचमी पूर्णा संज्ञक तिथि प्रारंभ हो जाएगी। चतुर्थी में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। पर किसी शुभकार्यारंभ के समय लग्न में केन्द्र या त्रिकोण स्थान में कोई शुभ ग्रह स्थित हो तो रिक्ता तिथि का दोष परिहृत हो जाता है। पंचमी में समस्त शुभ, स्थिरता व चंचल कार्य सिद्ध होते हैं। अभी शुक्र अस्त है। इसलिए शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। नक्षत्र: पूर्वाभाद्रपद ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र अंतरात्रि सूर्योदय पूर्व प्रात: ७.०६ तक, इसके बाद उत्तरा भाद्रपद ‘ध्रुव व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। विशिष्ट योग: अंतरात्रि सूर्योदय पूर्व प्रात: ७.०६ से सूर्योदय तक सर्वार्थ सिद्धि शुभ योग तथा अंतरात्रि ७.०६ से रवियोग शक्तिशाली शुभ योग है। चंद्रमा: रात्रि १२.४५ तक कुम्भ राशि में, इसके बाद मीन राशि में रहेगा। ग्रह राशि-नक्षत्र परिवर्तन: दोपहर बाद १.३७ पर शुक्र श्रवण में प्रवेश करेगा।
श्रेष्ठ चौघडि़ए : आज प्रात: ८.४० से दोपहर १२.३८ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद १.५७ से अपराह्न ३.१७ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१७ से दोपहर १२.५९ तक अभिजित श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। वारकृत्य कार्य: रविवार को सामान्यत: सभी स्थिर संज्ञक कार्य, राज्याभिषेक, ललित कला सीखना, पशु क्रय, मंत्रोपदेश आदि कार्य शुभ माने गए हैं। दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। आज रात्रि १२.४५ तक चंद्रमा कुम्भ राशि में, इसके बाद मीन राशि में रहेगा। कुम्भ राशि के चंद्रमा का वास पश्चिम दिशा में व मीन राशि के चन्द्रमा का वास उत्तर दिशा की यात्रा में सम्मुख रहेगा।
राहुकाल : सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।