आद्र्रा नक्षत्र में लड़ाई, बंधन, मर्दन, मारण, अग्नि-विष सम्बंधी कार्य और विद्यादि कार्य प्रशस्त हैं। शुभ कार्य वर्जित हैं। पुनर्वसु नक्षत्र में शांति-पुष्टता आदि कार्य करने चाहिए। योग: अतिगंड नामक नैसर्गिक अशुभ योग प्रात: ८.१० तक, इसके बाद अंतरात्रि सूर्योदय पूर्व ५.१५ तक सुकर्मा नामक शुभ योग है। इसके बाद धृति नामक शुभ योग प्रारम्भ हो जाएगा। विशिष्ट योग: रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग प्रात: ७.४२ तक तथा त्रिपुष्कर नामक शुभाशुभ योग सायं ७.४२ से प्रारम्भ। करण: कौलव नामकरण प्रात: ७.३७ तक, इसके बाद तैतिल-गरादि करण हैं।
शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज किसी शुभ व मंगल कृत्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है। श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज प्रात: ७.३७ से ९.१३ तक शुभ तथा दोपहर १२.२६ से सायं ५.१४ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.०० से १२.५१ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
व्रतोत्सव: आज श्री रामानुजाचार्य जयंती, चंदन छठ (बंगाल) व राष्ट्रीय वैशाख मास प्रारम्भ। चन्द्रमा: चन्द्रमा सम्पूर्ण दिवारात्रि मिथुन राशि में है। दिशाशूल: शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज पश्चिम दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है। राहुकाल: प्रात: ९.०० से १०.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारम्भ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
आज जन्म लेने वाले बच्चे
आज जन्म लेने वाले बच्चों के नाम (ङ, छ, के, को, ह, ही) आदि अक्षरों पर रखे जा सकते हैं। इनकी जन्म राशि मिथुन व जन्म का पाया रजत है। सामान्यत: ये जातक कुछ विवादप्रिय, तीक्ष्ण स्वभाव, अस्थिर विचारधारा, बुद्धिमान, साहसी, विचलित मन मस्तिष्क वाले, क्षुद्र विचार, छिद्रान्वेषी, आलोचक और धार्मिक कार्यों का आडम्बर करने वाले हो सकते हैं। इनका भाग्योदय लगभग २५ वर्ष की आयु के पश्चात ही होता है। मिथुन राशि वाले जातकों को दूर-परे की यात्रा करनी पड़ सकती है। यात्रा में सावधानी बरतनी चाहिए।
आज जन्म लेने वाले बच्चों के नाम (ङ, छ, के, को, ह, ही) आदि अक्षरों पर रखे जा सकते हैं। इनकी जन्म राशि मिथुन व जन्म का पाया रजत है। सामान्यत: ये जातक कुछ विवादप्रिय, तीक्ष्ण स्वभाव, अस्थिर विचारधारा, बुद्धिमान, साहसी, विचलित मन मस्तिष्क वाले, क्षुद्र विचार, छिद्रान्वेषी, आलोचक और धार्मिक कार्यों का आडम्बर करने वाले हो सकते हैं। इनका भाग्योदय लगभग २५ वर्ष की आयु के पश्चात ही होता है। मिथुन राशि वाले जातकों को दूर-परे की यात्रा करनी पड़ सकती है। यात्रा में सावधानी बरतनी चाहिए।