नक्षत्र: पुनर्वसु ‘चर व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र सायं ६.१८ तक, इसके बाद पुष्य ‘क्षिप्र व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। पुनर्वसु में यथा आवश्यक शांति, पौष्टिक, यात्रा, अलंकार, घर, व्रतादि, सवारी, कृषि और विद्यादि कार्य तथा पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोडक़र सभी चर-स्थिर, शांति, पुष्टता, उत्सव सम्बंधी समस्त कार्य शुभ होते हैं।
शुभ वि.सं. : २०७५, संवत्सर नाम: विरोधकृत्, अयन: उत्तरायण, शाके: १९४०, हिजरी: १४३९, मु.मास: सावान-५, ऋतु: ग्रीष्म, मास: वैशाख, पक्ष: शुक्ल। चंद्रमा: दोपहर १२.३७ तक मिथुन राशि में, इसके बाद कर्क राशि में रहेगा। वारकृत्य कार्य : रविवार को सामान्यत: राज्याभिषेक, गाना-बजाना, राजसेवा, पशु क्रय-विक्रय, हवन, यज्ञादि मंत्रोपदेश, औषध व शस्त्र-व्यवहार, क्रय-विक्रय आदि कार्य प्रशस्त हैं।
दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चंद्र स्थिति के अनुसार आज दोपहर १२.३७ तक चंद्रवास पश्चिम दिशा की यात्रा में सम्मुख रहेगा। इसके बाद कर्क राशि के चंद्रमा का वास उत्तर दिशा की यात्रा में सम्मुख होगा। यात्रा में सम्मुख चंद्रमा धनलाभ कराने वाला है।
श्रेष्ठ चौघडि़ए
आज प्रात: ७.३७ से दोपहर १२.२५ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद २.०२ से अपराह्न ३.३८ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.०० से दोपहर १२.५१ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
आज प्रात: ७.३७ से दोपहर १२.२५ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद २.०२ से अपराह्न ३.३८ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.०० से दोपहर १२.५१ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल
सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है। शुभ मुहूर्त
२२ अप्रेल : देवप्रतिष्ठा, मशीनरी-कल-कारखाना प्रारम्भ, वाहनादि क्रय, विष्णु पूजा (आठवां), विद्यारम्भ सभी पुनर्वसु नक्षत्र में।
२३ अप्रेल : गृहारम्भ, गृहप्रवेश, देवप्रतिष्ठा, विपणि-व्यापारारम्भ, द्विरागमन, वधू-प्रवेश, कर्णवेध, कूपारम्भ सब पुष्य नक्षत्र में।
२५ अप्रेल : विवाह अतिआवश्यकता में (मृत्युबाण व केतुयुति दोष), वधू-प्रवेश व हलप्रवहण के मघा नक्षत्र में।
सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है। शुभ मुहूर्त
२२ अप्रेल : देवप्रतिष्ठा, मशीनरी-कल-कारखाना प्रारम्भ, वाहनादि क्रय, विष्णु पूजा (आठवां), विद्यारम्भ सभी पुनर्वसु नक्षत्र में।
२३ अप्रेल : गृहारम्भ, गृहप्रवेश, देवप्रतिष्ठा, विपणि-व्यापारारम्भ, द्विरागमन, वधू-प्रवेश, कर्णवेध, कूपारम्भ सब पुष्य नक्षत्र में।
२५ अप्रेल : विवाह अतिआवश्यकता में (मृत्युबाण व केतुयुति दोष), वधू-प्रवेश व हलप्रवहण के मघा नक्षत्र में।