प्रतिपदा नन्दा संज्ञक शुभ तिथि अंतरात्रि ३.५७ तक, तदुपरान्त द्वितीया भद्रा संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में चन्द्रमा क्षीण रहता है। अत: शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते। पर निश्चित दिनावधि के कार्य सम्पन्न किए जा सकते हैं। द्वितीया तिथि में सभी शुभ व मांगलिक कार्य शुभ होते हैं। शुक्ल प्रतिपदा में देवीकार्य और नवरात्रादि शुभ कहे गए हैं। नक्षत्र: धनिष्ठा नक्षत्र प्रात: ९.४२ तक, इसके बाद शतभिषा नक्षत्र है। धनिष्ठा व शतभिषा दोनों ही ‘चर व ऊध्र्वमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। जिनमें मुंडन, जनेऊ, सवारी, गृहारंभ, प्रवेश, उपनयन, देवप्रतिष्ठा आदि विषयक कार्य प्रशस्त हैं। योग: परिघ नामक नैसर्गिक अशुभ योग अपराह्न ३.४३ तक, तदुपरान्त शिव नामक नैसर्गिक शुभ योग है। करण: किंस्तुघ्न नामक करण अपराह्न ३.१६ तक, तदन्तर बवादि करण रहेंगे।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से पूर्वाह्न ११.१७ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत, दोपहर १२.४१ से दोपहर बाद २.०५ तक शुभ तथा सायं ४.५२ से सूर्यास्त तक चर के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१८ से दोपहर १.०३ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। शुभ मुहूर्त: आज धनिष्ठा नक्षत्र में कूपारम्भ, हलप्रवहण व शतभिषा नक्षत्र में यथाआवश्यक वधू-प्रवेश, नामकरण, अन्नप्राशन व कर्णवेध आदि के शुभ मुहूर्त हैं।
व्रतोत्सव: आज संपूर्ण दिवारात्रि पंचक है। पंचकों में प्रेतदाह, खाट-पिलंग, कुर्सी आदि की बुनाई, छप्पर या छत डालना, दक्षिण दिशा की यात्रा व काष्ठ तृणादि का संग्रह नहीं करना चाहिए। चन्द्रमा: चन्द्रमा संपूर्ण दिवारात्रि कुंभ राशि में है। दिशाशूल: शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर आज कुंभ राशि के चन्द्रमा का वास पश्चिम दिशा की यात्रा में सम्मुख रहेगा। याद रखें- यात्रा में सम्मुख चन्द्रमा धनलाभ कराने वाला व शुभ माना गया है। राहुकाल: प्रात: १०.३० से दोपहर १२.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।