वास्तु की जानकार रचना मिश्रा के अनुसार रसोईघर में हवा और प्रकाश आने की पर्याप्त व्यवस्था तो होनी ही चाहिए। साथ ही सामग्री आदि रखने की व्यवस्था भी वास्तु के अनुसार होनी चाहिए, कहा जाता है कि ऐसी स्थिति होने पर एक ओर जहां यहां कार्य करने वाले को थकान अनुभव नहीं होती, वहीं आपका मन भी प्रफुल्लित रहता है।
इसी के प्रभाव से भोजन करने वालों को शारीरिक पुष्टि और मानसिक संतुष्टि प्राप्त होती है। इसके साथ ही ऐसी स्थिति में व्यक्ति के निरोगी व मन में प्रसन्नता रहने से उसकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है, जिसका सीधा असर घर में सुख-समृद्धि पर भी पड़ता है।
रसोईघर को लेकर इन बातों का रखें खास ख़्याल-
: रसोईघर मतलब किचन हमेशा आग्नेय कोण यानि दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए।
उपाय: यदि आपका रसोई घर आग्नेय कोण में नहीं बना है तो आप रसोईघर में किचन स्टैंड के उत्तर-पूर्व यानि ईशान कोण में ऊपर सिंदूरी श्री गणेश की तस्वीर लगाएं या ऋषियों की यज्ञ करते हुए तस्वीर लगाएं।
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: वहीं भोजन बनाते समय हमारा मुंह हमेशा पूर्व में होना चाहिए।
: जबकि रसोईघर में चूल्हा दक्षिण-पूर्व दिशा में बने प्लेटफॉर्म पर होना चाहिए। जहां तक संभव हो चूल्हा दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए।
: विशेष दिनों जैसे त्योहार, पर्व आदि में रसोई को अच्छी तरह से साफ़-सुथरा करने के अलावा अच्छे से सजाना भी चाहिए।
: हर रोज किसी यहां दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
: पूजा घर कभी भी रसोईघर में न बनाएं, लेकिन यदि लाचारी वश बनाना ही पड़े, तो खास नियमों का पालन करना ही चाहिए।
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: रसोईघर के उत्तर-पश्चिम में रसोईघर की सफ़ाई के उपकरण रखने चाहिए, वहीं यदि यहां संभव न हो, तो इन्हें दक्षिण-पश्चिम में भी रख सकते हैं।
: आपके सौभाग्य में वृद्धि के लिए फूल, सुगंध, संगीत, स्वच्छता व पवित्रता रसोईघर में जुटाएं। यह आपकी प्रगति और उन्नति में मददगार रहेंगे।
: रसोईघर के लिए दक्षिण-पूर्व क्षेत्र सबसे उत्तम माना जाता है, वहीं विकल्प के रूप में उत्तर-पश्चिम क्षेत्र का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन किचन कभी भी उत्तर-पूर्व मध्य व दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में नहीं होना चाहिए।