उन्हें इतना जरूर पता था कि जेईई एग्जाम में वह अच्छा रैंक लेकर आएगा। उन्होंने दो साल चंडीगढ़ स्थित एक कोचिंग सेंटर से कोचिंग ली।
चंडीगढ़। अगर इंसान के ईरादे बुलंद हो तो उसे कोई भी कुछ करने से नहीं रोक सकता। बुलंद हौंसलों और इरादों से मंजिल पाना आसान हो जाता है। यह साबित कर दिखाया है होनहार छात्र भावेश ढींगरा ने। ढींगरा ने इंडियन इंस्टीच्युट ऑफ टेक्नोलॉजी के ज्वाइंट एंट्रेस एग्जाम (आईआईटी जेईई) में ऑलओवर इंडिया में सेकेंड रैंक हासिल की है। भावेश दसवीं क्लास से ही आईआईटी में एडमिशन का सपना देख रहे थे। उनके पिता का कहना है कि उन्हें विश्वास नहीं था कि उनका बेटा सेकेंड रैंक लेकर एग्जाम पास करेगा। उन्हें इतना जरूर पता था कि जेईई एग्जाम में वह अच्छा रैंक लेकर आएगा। उन्होंने दो साल चंडीगढ़ स्थित एक कोचिंग सेंटर से कोचिंग ली।
प्राइवेट स्कूल से दसवीं पास की और 11वीं में एडमिशन के लिए गया। वहां पर उन्होंने स्कूल मैनेजमेंट के सामने बात रखी कि वह 11वीं 12वीं की स्टडी के साथ-साथ आईआईटी में एडमिशन के लिए तैयारी करेगा। इसके लिए उसे चंडीगढ़ से कोचिंग लेनी पड़ेगी और वह इस दौरान रूटीन में स्कूल में नहीं पाएगा। भावेश और उनके पिता इंद्रजीत सिंह का कहना है कि स्कूल ने एडमिशन देने से हाथ खड़े कर दिए। भावेश ने स्कूल बदलने का फैसला ले लिया और सेक्टर-18 स्थित प्राइवेट स्कूल में 11वीं में एडमिशन ले लिया।
स्कूल का होनहार था, लेकिन तब भी कर दिया एडमिशन से मना
भावेश के पिता ने बताया कि उनका बेटा शुरू से ही पढ़ाई में होनहार रहा है। दसवीं में बेटे के 10 सीजीपीए आई। वहीं 12वीं में 92.4 प्रतिशत नंबर लेकर पास हुआ। उन्होंने बताया कि वे कई दिनों से परिवार के साथ घूमने पुणे बैंगलोर गए हुए थे। रविवार सुबह ही चंडीगढ़ पहुंचे थे। क्योंकि उन्हें पता था कि भावेश का जेईई एग्जाम का रिजल्ट आना है। रिजल्ट के बाद कोचिंग सेंटर संचालक भावेश को अपने साथ कोटा स्थित अपने हेड ऑफिस ले गए, वहां पर सेलिब्रेट प्रोग्राम रखा गया है।
क्लीयर कॉन्सेप्ट और टाइम मैनेजमेंट से मिली मंजिल
संयुक्त प्रवेश परीक्षा एडवांस 2016 में सेकेंड टॉपर रहे भावेश ढींगरा ने कहा है कि इस सफलता के पीछे हर चैप्टर का कॉन्सेप्ट क्लीयर होना ही उनकी असली ताकत रही। इसके साथ उन्होंने टाइम मैनेजमेंट पर खास ध्यान दिया। यमुनानगर के रहने वाले भावेश ने बताया कि वह खुद को फ्रेश और रिलेक्स रखने के लिए टेबल टेनिस, बैडमिंटन खेलना पसंद करते हैं। उन्हें म्यूजिक सुनना भी बेहद पसंद है।
दोनों बहनों ने की है बीटेक
भावेश के पिता इंद्रजीत सिंह बैंक ऑफ इंडिया से ब्रांच मैनेजर रिटायर्ड और मां सविता हाउस वाइफ हैं। उनके पास दो बेटियां एक बेटा है। इंद्रजीत सिंह ने बताया कि उनकी बड़ी बेटी शालिनी ढींगरा ने भिवानी स्थित कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की। वह अब पुणे में जॉब कर रही है। वहीं छोटी बेटी ने रादौर स्थित जेएमआईटी से इलेक्ट्रोनिक्स में बीटेक की। वह बैंगलोर में जॉब कर रही है। भावेश भी बीटेक करना चाहता था। इसके लिए वह दसवीं क्लास से ही कहता था।
आईआईटी मुंबई में लेनी है एडमिशन
ढींगराने बताया कि उसकी रूचि कंप्यूटर साइंस में है। वह कंप्यूटर साइंस से ही बीटेक करना चाहता है। उसकी पहली च्वाइस आईआईटी मुंबई है। उनका कहना है कि जेईई एग्जाम के लिए उन्होंने घर पर हर दिन पांच से छह घंटे स्टडी की। कोई भी दिन बिना स्टडी किए नहीं गया। उनका कहना है कि युवाओं को बिना स्ट्रेस लिए एग्जाम की तैयारी करनी चाहिए। कोई भी एग्जाम ऐसा नहीं है कि जिसे हम क्लियर नहीं कर सकते। उनका कहना है कि इस कामयाबी के पीछे उनके पिता इंद्रजीत सिंह, माता सविता, दोनों बहनों और स्कूल टीचर्स का योगदान है। क्योंकि उन्होंने हमेशा उसका हौंसले को बढ़ाया।
तीसरे स्थान पर रहे कुणाल गोयल की सफलता का मंत्र
जेईई एडवांस परीक्षा में तीसरे स्थान पर रहे कुणाल गोयल ने कहा कि जेईई मेन्स में उन्हें 290 अंक प्राप्त हुए थे। लेकिन एडवांस में उन्हें 310 अंक मिले। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने मेन्स की गलतियां एडवांस में नहीं दोहराई।
जयपुर के रहने वाले कुणाल ने कहा कि मैं आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करना चाहता हूं। कुणाल के पिता एसके गोयल सिंचाई विभाग में इंजीनियर हैं और मां हाउसवाइफ हैं।