बैठक के दौरान आडिट आपत्ति में करीब 100 करोड़ रुपए की विकास योजनाओं के खर्च का हिसाब नहीं मिला है। इस दौरान संभागायुक्त डॉ अशोक कुमार ने लंबित ऑडिट को तत्काल निराकरण का निर्देश दिया है। गबन के मामलों में प्रकरण की गंभीरता के आधार पर लघु एवं दीर्घ शास्ति से दंडित करने की कार्रवाई करें। गुणवत्ता, पारदर्शिता एवं जबावदेही के साथ ऑडिट आपत्तियों के निराकरण की कार्यवाही की जाएं। उन्होंने कहा कि नगर निगम, जिला पंचायत एवं मंडी समितियों में अधिकारी बैठक करें और कोई भी ऑडिट आपत्ति लंबित नहीं रहे।
संभाग में 31 मार्च 2019 की स्थिति में नगर पालिक निगम रीवा में 1564, नगर पालिक निगम सतना में 1824 एवं नगर पालिक निगम सिंगरौली में 1274 लंबित ऑडिट आपत्तियां हैं। इसी तरह अन्य नगरीय निकायों में 13082, कृषि उपज मंडी समितियों में 1835, जिला पंचायतों में 1359 एवं जनपद पंचायतों में 7387 लंबित ऑडिट आपत्तियों सहित कुल 28325 ऑडिट आपत्तियों लंबित हैं। संभागायुक्त ने शीघ्रता से ऑडिट आपत्तियों का निराकरण करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। इस दौरान संभागायुक्त को बताया गया कि संपरीक्षा शुल्क की राशि को निर्धारित शीर्ष में जमा कराने के निर्देश दिए। संभाग में 29 करोड़ 57 लाख 52 हजार की राशि जमा के लिए अवशेष है।
संभागायुक्त के निर्देश पर आपत्तियों का निराकरण शिविर लगाकर किया जाएगा। कृषि उपज मंडी समितियों में 26 एवं 27 जून को, नगरीय निकायों में 8 से 10 जुलाई तक एवं जिला व जनपद पंचायतों में 13 से 19 जुलाई तक आयोजित होने वाले शिविरों में ऑडिट आपत्तियों का निराकरण कराया जाए। समीक्षा में ज्ञात हुआ कि विगत 2 वर्षों में संभाग में ऑडिट आपत्तियों के निराकरण की प्रगति शून्य रही है।