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2.63 लाख क्विंटल गेहूं की तौल, 44 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया

locationरीवाPublished: Apr 23, 2019 09:10:45 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

एक माह की खरीदी में सतना अव्वल, रीवा, सीधी और सिंगरौली फिसड्डी, भुगतान में रीवा अव्वल

loss to Mustard Crop

44 crores outstanding dues

रीवा. संभाग में समर्थन मूल्य पर अभी तक महज 2.63 लाख क्विंटल की ही तौल हो सकी है। जबकि खरीद चालू हुए एक माह बीतने को है। समर्थन मूल्य पर गेहूं की तौल की रफ्तार ऐसी ही रही तो डेडलाइन बीतने के बाद भी किसानों की उपज की तौल नहीं हो सकेगी। केन्द्रों पर गेहूं की तौल में सबसे आगे सतना है। जबकि रीवा, सीधी और सिंगरौली सबसे फिसड्डी हैं।
चिलचिलाती धूप में उपज बेचने के लिए खड़े
संभाग के रीवा, सतना में अभी पचास फीसदी केन्द्रों पर तौल चालू नहीं हो सकी है। कुछ केन्द्रों पर किसान नहीं पहुंचने के कारण तो ज्यादातर केन्द्रों पर अव्यवस्था के चलते तौल चालू नहीं हो सकी है। किसान चिलचिलाती धूप में उपज बेचने के लिए खड़े हैं। शासन ने 25 मार्च से खरीद चालू कर दी है। 23 अप्रेल तक 2.63 लाख क्विंटल गेहूं की तौल हो सकी है। जबकि लक्ष्य 40 लाख क्विंटल से ज्यादा है। अभी तक सबसे ज्यादा सतना में 2.25 लाख क्विंटल की तौल हो चुकी है। जबकि रीवा, सीधी और सिंगरौली तौल में पीछे हैं।
खरीदे 48.45 करोड़ का, भुगतान महज ४ करोड़ रुपए
संभाग में 48 करोड़ 45 लाख रुपए गेहूं की तौल हो चुकी है। जबकि अभी तक भुगतान माह 4.32 करोड़ रुपए हुआ है। किसानों के खाते में अभी तक 44 करोड़ रुपए से अधिक की राशि नहीं भेजी जा सकी है।
अफसरों ने केन्द्रों का भ्रमण देखी व्यवस्थाएं
जिले में समर्थन मूल्य के लिए बनाए गए केन्द्र पर अव्यवस्था के चलते किसान परेशान हैं। करहिया मंडी में किसानों के बवाल के बाद जागे जिम्मेदार निरीक्षण शुरू कर दिया है। जिला नियंत्रक की अगुवाई में दर्जनभर केन्द्रों की व्यवस्था देखी और व्यवस्थित करने का निर्देश दिए। गोविंदगढ़ केन्द्र पर खरीद चालू हो गई है। दोपहर जिला नियंत्रक राजेन्द्र ठाकुर, जीआर पीके सिद्धार्थ सहित अन्य अधिकारियों के साथ पहुंचे। यहां पर किसानों के विश्राम गृह, कंटीन और पानी की व्यवस्था कराई। नियंत्रक ने चेतावनी दी कि किसानों की सुविधाएं व्यवस्थित कराएं। इसी तरह गुढ़ और मंहसांव आदि केन्द्रों का भ्रमण कर तौल की जानकारी ली और किसानों की समस्याएं सुनी। इस दौरान अधिकारियों ने कई केन्द्रों पर किसानों के भोजन आदि की व्यवस्था के लिए अस्थाई नास्ता, व चाय की दुकानें भी खुलवा दी है।
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