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18 बेड पर 5 वेंटीलेटर, ये है मेडिकल कॉलेज के गंभीर रोगी वार्ड की हकीकत

locationरीवाPublished: Aug 11, 2018 12:55:19 pm

Submitted by:

Dilip Patel

भर्ती के सापेक्ष 50 फीसदी मरीजों की डॉक्टर जान बचाने में नाकाम, संजय गांधी अस्पताल प्रबंधन मामले को नहीं ले रहा गंभीरता से

रीवा। विंध्य के सबसे बड़े संजय गांधी अस्पताल के गंभीर रोगी वार्ड में मरीजों को उचित उपचार मयस्सर नहीं हो रहा है। यहां पर रोज दस से बारह मरीजों की भर्ती होती है जिनमें से तीन से चार की मौत हो जाती है। हैरानी की बात ये है कि अधिकतर मरीज की मौत की वजह नहीं पता कर पाते हैं, जबकि अत्याधुनिक उपकरणों से यूनिट लैस है। यह चिंता का विषय है। हकीकत सामने हैं पर अस्पताल प्रबंधन तनिक भी गंभीर नहीं है।

इन बीमारियों के मरीज होते हैं भर्ती
ब्रेन हेमरेज, बीपी, लकवा, सीवर एनीमिया, सीवर अस्थमा, किडनी फेल्योर, हार्ट अटैक, स्नैक बाइट, मिरगी, लीवर कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों के मरीज मेडिसिन विभाग के गंभीर रोगी वार्ड में भर्ती होते हैं।

सेंट्रल मॉनीटरिंग सिस्टम है नदारद
कहने को यूनिट गंभीर रोगियों की है लेकिन यहां पर सेंट्रल मॉनीटरिंग सिस्टम डेवलप नहीं हो पाया है। परिजन बताते हैं तब डॉक्टर को मरीज की स्थिति पता चलती है जबकि बड़े अस्पतालों में एक स्थान पर बैठकर मॉनीटर पर हर मरीज की स्थिति पर नजर रखी जाती है। जिससे समय पर मरीज को उपचार मुहैया होता है।

आए दिन खराब रहते हैं उपकरण
मेडिसिन विभाग के गंभीर रोगी वार्ड में पांच वेंटीलेटर, पल्स ऑक्सीमीटर, मॉनीटर सहित अन्य कई महत्वपूर्ण उपकरणों की मौजूद होने के दावे अस्पताल प्रबंधन करता है पर ये उपकरण अधिकतर खराब रहते हैं। आए दिन इंदौर या भोपाल से उपकरण सुधारने के लिए इंजीनियर आते रहते हैं। कहने का तात्पर्य ये है कि उपकरणों की ठीक रहने की गारंटी नहीं है।

केस-1
14 वर्षीय मनीष को बुखार के चलते भर्ती किया गया था। दो दिन तक मरीज भर्ती था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। मृत्यु की वजह क्या था ये भी पता नहीं किया जा सका।

केस-2
पेटदर्द से परेशान 30 वर्षीय राजेंद्र कुशवाहा को भर्ती किया गया था। छह घंटे के भीतर इनकी मृत्यु हो गई। डॉक्टर कारण भी नहीं पता क र सके।

ये सुविधाएं हो तो बने बात
-गंभीर रोगी वार्ड में सेंट्रल मॉनीटरिंग सिस्टम की डेस्क बने।
-हर शिफ्ट में सीनियर डॉक्टरों की मौजूदगी अनिवार्य की जाए।
-मरीजों का इलाज सीनियर डॉक्टरों के सुपरविजन में ही किया जाए।
-मरीज की जांच रिपोर्ट में देरी बंद हो। मर्ज स्पष्ट किया जाए।
-केस हिस्ट्री की एक कापी मरीज के पास मौजूद रहे ताकि वे जान सकें।
-बेड 18 हैं और वेंटीलेटर पांच। गंभीर मरीज के हर बेड पर वेंटीलेटर हो।
-उपकरणों के रखरखाव पर अस्पताल प्रबंधन नियमित ध्यान दे।

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