…लेकिन मृतक का घर नहीं मिला
करीब एक माह तक पुलिस ने पूरे वार्ड को छान डाला लेकिन मृतक का घर नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने तलाशी का दायरा पूरे कस्बे में फैलाया तो वार्ड-3 में पुलिस को सुखराज साकेत नाम का व्यक्ति मिला। जिस व्यक्ति को मरा मानकर पुलिस ढूंढ रही थी तो वह जिंदा पुलिस के सामने खड़ा था। जब पुलिस उसके घर में पहुंची तो धोखाधड़ी का मामला पूरा मामला सामने आ गया। पुलिस ने मामले में आधा दर्जन लोगों के खिलाफ धारा 419, 420, 120 आइपीसी का अपराध दर्ज किया है।
करीब एक माह तक पुलिस ने पूरे वार्ड को छान डाला लेकिन मृतक का घर नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने तलाशी का दायरा पूरे कस्बे में फैलाया तो वार्ड-3 में पुलिस को सुखराज साकेत नाम का व्यक्ति मिला। जिस व्यक्ति को मरा मानकर पुलिस ढूंढ रही थी तो वह जिंदा पुलिस के सामने खड़ा था। जब पुलिस उसके घर में पहुंची तो धोखाधड़ी का मामला पूरा मामला सामने आ गया। पुलिस ने मामले में आधा दर्जन लोगों के खिलाफ धारा 419, 420, 120 आइपीसी का अपराध दर्ज किया है।
प्रौढ़ समेत परिवार के लोग बने आरोपी
मामले में पुलिस ने आधा दर्जन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियों में खुद सुखराज साकेत निवासी वार्ड-3, पुत्र संदीप साकेत, वास्तविक मृतक मुन्नालाल साकेत का पुत्र पप्पू साकेत, बबलू साकेत, इंद्रजीत साकेत निवासी माजन थाना गढ़, राजेन्द्र साकेत शामिल हैं। इन सभी आरोपियों को शनिवार को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया जहां से उनको जेल भेज दिया गया है।
मामले में पुलिस ने आधा दर्जन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियों में खुद सुखराज साकेत निवासी वार्ड-3, पुत्र संदीप साकेत, वास्तविक मृतक मुन्नालाल साकेत का पुत्र पप्पू साकेत, बबलू साकेत, इंद्रजीत साकेत निवासी माजन थाना गढ़, राजेन्द्र साकेत शामिल हैं। इन सभी आरोपियों को शनिवार को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया जहां से उनको जेल भेज दिया गया है।
इस तरह जिंदा आदमी बन गया मृतक
जिंदा आदमी पुलिस रिकार्ड मृत कैसे हो गया इसकी भी रोचक कहानी है। मऊगंज वार्ड-8 के मुन्नालाल साकेत 3 सितंबर को घर की सिंचाई करने के लिए लकड़ी की सीढ़ी से छत पर चढ़ रहा था तभी पैर फिसलने से नीचे गिर गया। उसके सिर में गंभीर चोट आई थी। परिजन उसे संजय गांधी अस्पताल लेकर आए लेकिन घायल के पास दीनदयाल अंत्योदय योजना का कार्ड नहीं था। इस पर वहां मौजूद उसके रिश्तेदार सुखराज साकेत ने अपना कार्ड दे दिया। पीडि़त की सुखराज साकेत के नाम भर्ती पर्ची तैयार हुई और सुखराज के नाम से ही वह इलाज करवाता रहा। 5 सितंबर को उसकी मौत होने पर सुखराज साकेत के नाम से ही मृत्यु की सूचना एसजीएमएच चौकी को मिली। पंचनामा के दौरान भी परिजनों ने मृतक का वास्तविक नाम नहीं बताया और उसके नाम से मर्ग डायरी तैयार हो गई। दीनदयाल अंत्योदय योजना का लाभ पाने के लिए परिजनों ने पूरा ड्रामा रचा था।
जिंदा आदमी पुलिस रिकार्ड मृत कैसे हो गया इसकी भी रोचक कहानी है। मऊगंज वार्ड-8 के मुन्नालाल साकेत 3 सितंबर को घर की सिंचाई करने के लिए लकड़ी की सीढ़ी से छत पर चढ़ रहा था तभी पैर फिसलने से नीचे गिर गया। उसके सिर में गंभीर चोट आई थी। परिजन उसे संजय गांधी अस्पताल लेकर आए लेकिन घायल के पास दीनदयाल अंत्योदय योजना का कार्ड नहीं था। इस पर वहां मौजूद उसके रिश्तेदार सुखराज साकेत ने अपना कार्ड दे दिया। पीडि़त की सुखराज साकेत के नाम भर्ती पर्ची तैयार हुई और सुखराज के नाम से ही वह इलाज करवाता रहा। 5 सितंबर को उसकी मौत होने पर सुखराज साकेत के नाम से ही मृत्यु की सूचना एसजीएमएच चौकी को मिली। पंचनामा के दौरान भी परिजनों ने मृतक का वास्तविक नाम नहीं बताया और उसके नाम से मर्ग डायरी तैयार हो गई। दीनदयाल अंत्योदय योजना का लाभ पाने के लिए परिजनों ने पूरा ड्रामा रचा था।