ज्येष्ठ मास अधिमास होगा जो बुधवार से प्रारंभ हो रहा है और १३ जून तक रहेगा। तीन वर्ष बाद बना ऐसा संयोग
रीवा। ज्येष्ठ मास अधिमास होगा जो बुधवार से प्रारंभ हो रहा है और १३ जून तक रहेगा। लगभग एक माह की अवधि में समस्त शुभ
मुहूर्त जैसे विवाह, सगाई, उपनयन, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा, संपत्ति खरीदी एवं नवीन
कार्य के शुभारंभ नहीं होंगे।
तीन वर्ष के अंतराल में पडऩे वाला अधिमास पुण्यदायी माना गया है। इसे पुरुषोत्तम मास अथवा मलमास के नाम से भी जानते हैं और इस अवधि में विष्णु पूजा एवं साधना का विशेष महत्व है। इसके पूर्व ज्येष्ठ मास में अधिमास 1999 में और 2015 में आषाढ़ अधिमास पड़ा था। अब 2020 में आश्विन मास में अधिमास का संयोग बनेगा। अधिमास के चलते समस्त तीज त्यौहार एक माह विलंब से होंगे। श्रावण मास का प्रवेश 29 जुलाई को होगा तो वहीं 26 अगस्त को
रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। 19 अक्टूबर को दशहरा भी एक माह विलंब से आएगा।
कैसे होता है अधिमास
ज्योतिष के अनुसार जिस चंद्रमास में सूर्य संक्रांति का अभाव हो वह मास अधिमास कहलाता है। खगोल गणनाओं के अनुसार एक सौर वर्ष 365 दिन 6 घंटे और 11 सेकंड का होता है जबकि एक चंद वर्ष 354 दिन और 9 घंटे का होता है। सौर वर्ष एवं चंद्र वर्ष के मध्य सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से हिंदू शास्त्रों में अधिमास नामक मास की परिकल्पना की गई है। प्रत्येक तीसरे वर्ष में अधिमास की पुनरावृत्ति हो जाती है।16 मई को उदयकाल से अधिमास का प्रारंभ हो रहा है जो 13 जून को रात्रि 1.14 बजे समाप्त होगा।
क्या न करें इस महीने
ज्योतिर्विद राजेश साहनी के अनुसार शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार अधि मास में फ ल प्राप्ति की कामना से किए जाने वाले सभी कार्य वर्जित किए गए हैं। इस मास में समस्त प्रकार के शुभ मुहूर्तों के अलावा नववधू प्रवेश, यज्ञोपवीत, नए वस्त्र धारण करना, नया आभूषण धारण करना, कुंआ, तालाब, बावली का खनन, भूमि, स्वर्ण एवं गाय का दान आदि कर्मों का निषेध माना गया है।