संभाग में रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली में वर्ष 2016-17 में पीओएस मशीन से राशन वितरण का काम चालू हुआ। राशन दुकानों पर उपयोग की जा रहीं मशीनें पुरानी हो गई हैं। जिससे आए दिन ज्यादातर मशीनें खराब हो रही हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर संभाग में कुल 2561 मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। रीवा में 915 मशीनों में से ज्यादातर मशीनों में तकनीकि त्रुटि के कारण हितग्राहियों का अंगूठा मैच नहीं कर रहा है। विभागीय आंकड़े के अनुसार संभाग में 12.53 लाख कुल परिवार हैं।
हर माह बॉयोमेट्रिक से सत्यापित 6.25 लाख यानी पचास फीसदी ही परिवारों को राशन मिलने का सत्यापन कर पा रही है। जबकि समग्र आइडी से राशन लेने वाले 5.51 लाख यानी ४४ फीसदी परिवारों को राशन मिल रहा है। विभाग का दावा है कि पीओएस मशीन के द्वारा संभाग में 11.17 लाख परिवारों को राशन दिया जा रहा है। शेष 1.36 लाख परिवारों का अगूंठा पीओएस मशीनें मैच नहीं कर पा रही हैं।
पीओएस मशीनों को तत्कालीन सरकार ने विजन टेक नाम की कंपनी से करीब 1300 रुपए प्रति माह किराए पर ले रखा है। संभाग में 2561 मशीनों का औसत 1300 रुपए प्रति माह किराया का लिया जाए तो हर माह सरकार को खजाने से 33.56 लाख रुपए से ज्यादा किराया चुकता करना पड़ रहा है। जबकि हर साल यह आंकड़ा साढ़े तीन करोड़ रुपए से ज्यादा होती है। विक्रेताओं के अनुसार मशीनें कबाड़ हो गई हैं, जिससे आए दिन खराब होती हैं। ऐसे में सरकार कबाड़ मशीनों का किराया चुकता कर रही है।
आधार आधारित राशन वितरण की व्यवस्था पीओएस मशीनों की खराब नेटवर्क कनेक्टिविटी के कारण नहीं हो पा रही है। शहरी क्षेत्र को छोड़ दें तो ग्रामीण क्षेत्र की ज्यादातर दुकानों पर मशीन से वितरण करना मुश्किल हो रहा है। मंगलवार को हड़ताल खत्म होने के बाद त्योंथर के रायपुर सोनौरी गांव में राशन लेने के लिए पहुंचीं बुजुर्ग शंकुतला का अंगूठा मैच नहीं हुआ। विक्रेता ने मशीन खराब होने की जानकारी देकर वापस कर दिया। इसी तरह जिले में करीब 1.36 लाख गारीबों का अंगूठा पीओएस मशीन में मैच नहीं कर रहा है। जिससे समय से राशन नहीं मिल रहा है।
पीओएस मशीनें किराए पर हैं इस संबंध में हमें कुछ भी जानकारी नहीं है। यह व्यवस्था शासन स्तर पर की गई है। जिसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं। हां ये जरूर है कि मशीनों की रिपेयर के लिए कंपनी की ओर से कार्यालय में दो इंजीनियर बैठाए गए हैं। जिन दुकानों की मशीनें खराब होती हैं उसे तत्काल ठीक कराया जाता है।
राजेन्द्र ठाकुर, जिला नियंत्रक