पचमठा से बीते साल 19 दिसंबर को सरकार ने एकात्म यात्रा की शुरुआत की थी। जिसका स्वागत करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहुंचे थे। कई धर्मगुरुओं और साधु-संतों ने यात्रा की अगुआई की थी। संतों ने भी कहा था कि पचमठा को ऐतिहासिक और आध्यात्मिक वैभव लौटेगा। यह यात्रा रीवा, उज्जैन, ओंकारेश्वर, अमरकंटक से एक ही दिन निकाली गई थी।
स्पेशल पैकेज पचमठा के लिए चाहे भले ही नहीं मिल पाया हो, लेकिन यहां पर निर्माण की शुरुआत जल्द ही होने जा रही है। उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला पचमठा में जायजा लेने पहुंचे, उनके साथ हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों के साथ ही तहसीलदार भी साथ थे। मंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि जरूरत पड़े तो कार्ययोजना में संशोधन करें और पचमठा के विकास की योजना बनाएं। पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत 56.36 करोड़ रुपए लागत वाले इस प्रोजेक्ट में बीहर नदी के किनारे घाट निर्माण और सौंदर्यीकरण की योजना थी। अब परिसर के बाउंड्रीवाल, भवन मरम्मत सहित अन्य कार्य बढ़ाए जाने की तैयारी है।
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पचमठा का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है, इसी के चलते यहां से एकात्म यात्रा निकाली गई थी। सरकार ने इसे नजरंदाज नहीं किया है बल्कि बीहर रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट के साथ इसके विकास के लिए कार्य प्रारंभ होने जा रहा है। 15 जून के आसपास इसका भूमिपूजन करेंगे। एक बार फिर पचमठा का वैभव लौटेगा और भव्य आयोजन शहर में होगा।
राजेन्द्र शुक्ला, उद्योग मंत्री मप्र शासन
सनातन धर्म स्थापना के लिए आदि शंकराचार्य देशाटन पर निकले थे। चार मठों की स्थापना के बाद वह सन् 818 में रीवा आए थे। उस दौरान इस क्षेत्र में बौद्धों की संख्या अधिक थी। यहीं शास्त्रार्थ कर उन्होंने सनातन धर्म की स्थापना की घोषणा करते हुए कहा था कि रीवा में पांचवे मठ की स्थापना होगी। 1986 में कांचीकामकोटि के शंकराचार्य जयेन्द्र सरास्वती अपने उत्तराधिकारी विजयेन्द्र के साथ आए थे। उन्होंने भी कहा था कि आदि शंकराचार्य के भ्रमण में रीवा का प्रवास और पांचवें मठ की स्थापना का प्रमाण मिलता है।
पचमठा लंबे समय से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहा है। यहां की भूमि कुछ लोगों ने अपने नाम पर करवा ली है। जिसका मुकदमा चल रहा है। यहीं पर 1956 में संत ऋषिकुमार ने आश्रम की स्थापना की थी। इसी परिसर में संस्कृत कॉलेज भी संचालित हो रहा है। परिसर अतिक्रमण की चपेट में आता जा रहा है, इसके विकास के लिए कई बार मांग उठी लेकिन कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए।