आगामी एक मई से इस पर नया प्रयोग शुरू हो जाएगा। यदि वह सफल रहा तो आने वाले समय में रीवा से प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रम बंद कर दिए जाएंगे और सब भोपाल से प्रसारित होंगे। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की यह अपनी आंतरिक व्यवस्था लेकिन आकाशवाणी से भावनात्मक रूप से जुड़े लोगों को मायूषी हुई है और वह इसका विरोध भी शुरू करने लगे हैं।
जिस पर आकाशवाणी का कहना है कि यह अभी प्रयोग के तौर पर किया जा रहा है। प्रसारण सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। श्रोताओं को जोडऩे के लिए आकाशवाणी से क्षेत्रीय बोली बघेली में कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। अब नई व्यवस्था से इनमें भी बदलाव नजर आएगा। बघेली के कार्यक्रम भी अब हिन्दी में सुनाई देंगे।
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अभी दोपहर के कार्यक्रम होंगे बंद
एक मई से आकाशवाणी के नए शेड्यूल में रीवा के केन्द्र से प्रसारित होने वाले दोपहर के कार्यक्रम बंद किए जाएंगे। अब इनका प्रसारण भोपाल से किया जाएगा। शुरुआती चरण में सुबह के 11 बजे से दोपहर के तीन बजे तक के कार्यक्रम बंद किए जाएंगे। इसके बाद सुबह दस बजे से सायं पांच बजे तक किया जाएगा। बाद में नई व्यवस्था की समीक्षा के बाद नए शेड्यूल पर निर्णय लिया जाएगा।
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रीवा सहित सभी केन्द्रों को एक-एक दिन मिलेगा
नई व्यवस्था में भोपाल से होने वाले प्रसारण में प्रदेश के सभी आकाशवाणी केन्द्रों को सप्ताह में एक-एक दिन का समय दिया जाएगा। रीवा को शनिवार का दिन मिलेगा। जिसमें दिनभर समाचारों के अलावा रीवा के कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे। इसके लिए आकाशवाणी के केन्द्र से रिकार्डिंग भोपाल भेजी जाएंगी, जहां से प्रसारण होगा। नई व्यवस्था आर्थिक संकट का हवाला देकर बनाई जा रही है। इससे करीब दो दर्जन की संख्या में स्थानीय कलाकार प्रभावित होंगे। जिन्हें अंशकालिक सेवा के रूप में अवसर मिलता रहा है। कंपियर के रूप में सेवाएं देने वालों की ड्यूटी एक मई के बाद से निरस्त कर दी गई है।
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प्रदेश के आकाशवाणी केन्द्र
रीवा आकाशवाणी केन्द्र - - 2 अक्टूबर 1977
इंदौर आकाशवाणी केन्द्र- 22 मई 1955
भोपाल आकाशवाणी केन्द्र--- 31 अक्टूबर 1956
ग्वालियर आकाशवाणी केन्द्र--- 15 अगस्त 1964
जबलपुर आकाशवाणी केन्द्र --- 6 नवंबर 1964
छतरपुर आकाशवाणी केन्द्र --- 7 अगस्त 1976
सागर आकाशवाणी केन्द्र--- वर्ष 1995
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रेडियो में बघेली अब नहीं सुनाई देगी
आकाशवाणी के रीवा केन्द्र की लोकप्रियता बघेली में प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों की वजह से रही है। महिलाओं के लिए दोपहर में 1.30 बजे घर-आंगन और सायं 7.20 बजे चौपाल कार्यक्रम अब बघेली में नहीं सुनाई देंगे। चौपाल की लोकप्रियता गांवों में गजब की रही है। लोगों को बघेली बोली में संदेश देने का सबसे सशक्त माध्यम रहा है। कहा जा रहा है कि चौपाल का प्रसारण होगा लेकिन वह हिन्दी में होगा। युववाणी भी अब सप्ताह में एक दिन आएगा। एक ओर सरकार मातृभाषा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, वहीं क्षेत्रीय बोली के प्रसारण को रोकने का विरोध भी शुरू हो गया है।
आकाशवाणी के रीवा केन्द्र की लोकप्रियता बघेली में प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों की वजह से रही है। महिलाओं के लिए दोपहर में 1.30 बजे घर-आंगन और सायं 7.20 बजे चौपाल कार्यक्रम अब बघेली में नहीं सुनाई देंगे। चौपाल की लोकप्रियता गांवों में गजब की रही है। लोगों को बघेली बोली में संदेश देने का सबसे सशक्त माध्यम रहा है। कहा जा रहा है कि चौपाल का प्रसारण होगा लेकिन वह हिन्दी में होगा। युववाणी भी अब सप्ताह में एक दिन आएगा। एक ओर सरकार मातृभाषा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, वहीं क्षेत्रीय बोली के प्रसारण को रोकने का विरोध भी शुरू हो गया है।