बघेली के कार्यक्रमों का प्रसारण बंद होने पर विधानसभा अध्यक्ष ने दिया आश्वासन, बोले हर संभव प्रयास करेंगे
- लोकभाषा से जुड़े कलाकारों और साहित्यकारों के प्रतिनिधि मंडल ने की मुलाकात
रीवा
Updated: May 07, 2022 09:41:31 pm
रीवा। आकाशवाणी के रीवा केन्द्र की प्रसारण सेवा में हुए बदलाव की वजह से बघेली बोली से जुड़े कार्यक्रम बंद किए जाने पर कलाकारों का प्रतिनिधि मंडल विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से मिला। जहां पर बताया गया कि किस तरह से आकाशवाणी ने अपनी प्रसारण सेवाओं में बदलाव करते हुए रीवा सहित प्रदेश के अन्य केन्द्रों से प्रसारित होने वाले क्षेत्रीय बोलियों से जुड़े कार्यक्रम बंद कर दिए हैं। इस मामले को विधानसभा अध्यक्ष ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने प्रतिनिधि मंडल के सामने ही केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री से बात करने के लिए फोन लगवाया, हालांकि उनसे बात नहीं हो पाई है। इसलिए मैसेज कराया है कि वह बात करना चाहते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने बघेली कलाकारों के प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया है कि इस मामले में वह पूरी गंभीरता के साथ काम करते हुए हर संभव प्रयास करेंगे कि पहले की तरह बघेली बोली और संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों का प्रसारण होता रहे। इस आश्वसन के बाद स्थानीय कलाकारों को एक नई ऊर्जा मिली है, उनका कहना है कि जरूरत पड़ी तो आंदोलन करेंगे। वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रिका प्रसाद चंद्र की अगुआई में ज्ञापन देने पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि वह उम्मीदें लेकर आए हैं। इस दौरान बघेली कवि रामनरेश तिवारी निष्ठुर ,राजकुमार शर्मा, अवध बिहारी पांडेय, रविंद्र मिश्रा, उमेश मिश्र लखन, डॉ. आरती तिवारी सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे। स्थानीय सांसद जनार्दन मिश्रा से भी सात मई को प्रतिनिधि मंडल मुलाकात करेगा और केन्द्रीय मंत्री से बात करने का अनुरोध करेगा।
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विधानसभा के स्तर पर भी मदद का प्रयास होगा : गौतम
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने 'पत्रिका' को बताया कि बघेली लोकभाषा से जुड़े प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन दिया है। जिस पर केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से बात करने का प्रयास किया गया है। उनसे बात का समय निर्धारित हुआ है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री को भी इस पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा। गौतम ने बताया कि नई शिक्षा नीति में भी इस बात का प्रावधान किया गया है कि अपनी लोकभाषा के बारे में छात्र जानें इसके लिए कोर्स में निर्धारण किया गया है। उक्त सभी पहलुओं के साथ ही विधानसभा स्तर पर किस तरह से बघेली बोली और संस्कृति के संरक्षण से जुड़े कार्य किए जा सकते हैं, इस पर भी विचार किया जा रहा है। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष स्वयं अधिकांश जगहों पर बघेली बोली का प्रयोग करते हैं और यहां के व्यंजनों को विधानसभा के मैन्यु में भी शामिल कराया है। साथ ही बघेली से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम और कवि सम्मेलन भी कई बार विधानसभा परिसर में हो चुके हैं। इस कारण कलाकारों को भी बड़ी उम्मीदें थीं।

- लोकभाषा से जुड़े कलाकारों और साहित्यकारों के प्रतिनिधि मंडल ने की मुलाकात
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