प्रदूषण का निदान सोचना होगा
डॉ येंगल ने कहा कि ईआईए तथा कैरिंग कैपिसिटी के माध्यम से हम आज प्रदूषण की इंतहा के आंकलन का प्रयास कर रहे हैं। इसके निदान की दिशा में तो अभी कदम बढ़ा ही नहीं है। हर व्यक्ति कुछ पौधों को लगाने की जिम्मेदारी ले और नदी तालाब बचाने के लिये श्रमदान करे तो यहीं इस पृथ्वी को बचाने के प्रति उठाया गया सबसे बड़ा कदम होगा।
डॉ येंगल ने कहा कि ईआईए तथा कैरिंग कैपिसिटी के माध्यम से हम आज प्रदूषण की इंतहा के आंकलन का प्रयास कर रहे हैं। इसके निदान की दिशा में तो अभी कदम बढ़ा ही नहीं है। हर व्यक्ति कुछ पौधों को लगाने की जिम्मेदारी ले और नदी तालाब बचाने के लिये श्रमदान करे तो यहीं इस पृथ्वी को बचाने के प्रति उठाया गया सबसे बड़ा कदम होगा।
पौध रोपण की ली गई शपथ
कार्यशाला में आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं बॉटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव दुबे, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. प्रवीण सिंह, डॉ. संतोष अग्निहोत्री, डॉ. अभिलाषा श्रीवासतव, डॉ. आरती सक्सेना, डॉ. विनीता कश्यप, डॉ. उमेश पाण्डेय, डॉ. आरती तिवारी एवं महाविद्यालय के अतिथि विद्वानों के साथ ही बीएससी तथा एमएससी के छात्र-छात्रायें उपस्थित रहीं। कार्यशाला सत्र के समापन अवसर पर प्राध्यापकों सहित सभी छात्र छात्राओं ने आगामी बरसात के मौसम में अघिकाधिक पौधारोपण की शपथ ली।
कार्यशाला में आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं बॉटनी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव दुबे, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. प्रवीण सिंह, डॉ. संतोष अग्निहोत्री, डॉ. अभिलाषा श्रीवासतव, डॉ. आरती सक्सेना, डॉ. विनीता कश्यप, डॉ. उमेश पाण्डेय, डॉ. आरती तिवारी एवं महाविद्यालय के अतिथि विद्वानों के साथ ही बीएससी तथा एमएससी के छात्र-छात्रायें उपस्थित रहीं। कार्यशाला सत्र के समापन अवसर पर प्राध्यापकों सहित सभी छात्र छात्राओं ने आगामी बरसात के मौसम में अघिकाधिक पौधारोपण की शपथ ली।