निगरानी के लिए लगाए गए हैं 98 नोडल अधिकारी
एक ओर कलेक्टर ने अमृत सरोवर के निर्माण कार्य को गंभीरता से लिया है। इसके लिए जिले भर में 98 नोडल अधिकारी लगाए गए हैं, जो हर तालाब का निरीक्षण करने के लिए मौके पर पहुंचेंगे। मनरेगा के मद से श्रमिकों के जरिए ही काम कराया जाना है। कई नोडल अधिकारियों ने कहा कि जिले भर से आ रही शिकायतों पर यदि श्रमिकों की जांच शुरू हो जाएगी तो तालाबों का समय पर कार्य कराना मुश्किल होगा। निगरानी के दौरान प्राथमिकता यह है कि निर्धारित स्वरूप में तालाबों का समय पर निर्माण कार्य पूरा हो।
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कई जगह मशीनों से काम कराने का हो रहा विरोध
जिले के कई हिस्सों से ग्रामीणों द्वारा शिकायत कलेक्टर के पास की गई है। जिसमें कहा गया है कि सरपंच-सचिव मजदूरी की राशि बचाने के लिए पूरा काम मशीनों के जरिए करा रहे हैं। गंगेव जनपद के हिनौती, पचोखर, गंगतीरा सहित अन्य गांवों के लोगों ने कहा है कि जो मजदूर काम करना चाहते हैं, उन्हें भी काम पर नहीं लगाया जा रहा है।जबकि मनरेगा योजना के तहत हर तालाब को औसत 22 से 25 लाख रुपए तक दिए गए हैं, जिसमें 12 से 14 लाख रुपए तक मजदूरी की राशि है। एक ओर यह भी कहा जा रहा है कि मजदूरी की राशि सीधे बैंक खाते में जाती है। ऐसे में लोगों ने सवाल उठाए हैं कि जब मशीनों से काम हो रहा है तो मजदूरों तक राशि कैसे जाएगी।
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जिले के कई हिस्सों से ग्रामीणों द्वारा शिकायत कलेक्टर के पास की गई है। जिसमें कहा गया है कि सरपंच-सचिव मजदूरी की राशि बचाने के लिए पूरा काम मशीनों के जरिए करा रहे हैं। गंगेव जनपद के हिनौती, पचोखर, गंगतीरा सहित अन्य गांवों के लोगों ने कहा है कि जो मजदूर काम करना चाहते हैं, उन्हें भी काम पर नहीं लगाया जा रहा है।जबकि मनरेगा योजना के तहत हर तालाब को औसत 22 से 25 लाख रुपए तक दिए गए हैं, जिसमें 12 से 14 लाख रुपए तक मजदूरी की राशि है। एक ओर यह भी कहा जा रहा है कि मजदूरी की राशि सीधे बैंक खाते में जाती है। ऐसे में लोगों ने सवाल उठाए हैं कि जब मशीनों से काम हो रहा है तो मजदूरों तक राशि कैसे जाएगी।
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कई जगह लागत सही नहीं बताने का आरोप
अमृत सरोवर की राशि की लागत जो निर्धारित की गई है, उसकी सही जानकारी गांव के लोगों को नहीं दिए जाने का आरोप लगाया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने कई गांवों का भ्रमण किया, जिसमें पाया है कि तालाबों के पास योजना से जुड़ी जानकारी तो प्रदर्शित की गई है लेकिन उसमें सूचनाएं गलत हैं। उन्होंने ग्राम पंचायत हिनौती का उदाहरण देते हुए बताया कि तालाब की लागत 22.45 लाख रुपए है जबकि सूचना बोर्ड में 22 हजार रुपए लागत बताई गई है। इससे ग्रामीणों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी तरह अन्य कई गांवों में भी स्थितियां बताई गई हैं।
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इन गांवों में बनाए जा रहे हैं अमृत सरोवर-
गंगेव- हिनौती गांव में चार, सथनी में तीन, सूरा, बुढ़वा, देवास, पचोखर, खरहई, कोलहाई, पताई, दादर कोठार, क्योंटी, सरईकला, पनगड़ी कला, भौखरी खुर्द, गंगेव आदि में एक-एक तालाब बनाए जा रहे हैं।
जवा- बौसड़, दोदर, लोहगढ़, खाझा, कंचनपुर, डोड़ौ, चंपागढ़, देवखर, कोनी कला, इटमा, रौली, गड़ेहरा, भनिगवां, केचुहा, जनकहाई कला।
त्योंथर- कोटरा कला, सूती, गोंद खुर्द, बारी कला, बुदामा, डीह, फुलदेउर, रिसदा, शंकरपुर।
नईगढ़ी- पैकनगांव, कोट, चिल्ला, बंधवा कोठार, जोधपुर प्रथम, जोधपुर द्वितीय, डिहिया, दूबी, खर्रा, बेलहा नानकार, रामपुर, शिवराजपुर।
मऊगंज- हर्रहा, डमरी माधव, बहेरा डाबर, कुलबहेरिया, शिवपुरवा, सूजी, भांटी सेंगर, गढ़वा में दो।
रायपुर कर्चुलियान- नवागांव कोठार, पलिया नंबर, बरेही, बक्छेरा में दो, पहडिय़ा।
सिरमौर- खम्हरिया, पडऱी, सदनहा में दो, बम्हनी गढ़ीहा, पटेहरा, भेलौड़ी, देवगांव कला।
रायपुर कर्चुलियान- नवागांव कोठार, पलिया नंबर, बरेही, बक्छेरा में दो, पहडिय़ा।
सिरमौर- खम्हरिया, पडऱी, सदनहा में दो, बम्हनी गढ़ीहा, पटेहरा, भेलौड़ी, देवगांव कला।
हनुमना- रघुनाथगढ़, टटिहरा, गौरी, पटेहरा, हर्दी नंबर वन, बन्ना जवाहर, हाटा, पांती मिश्रान, लोढ़ी, पटेहरा, गाड़ा 234, खटखरी, दामोदरगढ़, चरैया में दो, मुनहाई, हर्रई प्रताप सिंह, मिसिरगवां, जड़कुड़, लोढ़ी, प्रतापगंज, खखरी, दामोदरगढ़, गोपला, नटेहरा, बस्तीवानी, नाउन कला, लासा, खोड़मानी, नाउन खुर्द, बलभद्रगढ़, राजाधौ।
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