अफसरों की नाक के नीचे वर्ष 1997 से यह आंगनवाड़ी खपरैल में लग रही है। वर्ष 2015 से टीनशेड में संचालित हो रही है। महिला बाल एवं विकास केन्द्र की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन पूरी तरह जर्जर है। बारिश के दिनों में अभिभावक बच्चों को केन्द्र पर भेजने कतराते हैं। विनय, गोपाल, अंश के अभिभावको ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्र की एक-एक ईंट दरक गई है, भवन की दीवार पूरी तरह जर्जर है। जिससे बच्चों को भेजने में डर लगता है। कभी-कभी बच्चे सिर्फ भोजन लेने के लिए एक बार आते हैं। रसिया मोहल्ले की सुमन साकेत ने कहा केन्द्र का टीनशेड कब ढह जाए ये किसी को पता नहीं है। इसी तरह सकुंतला ने कहा, दीवार की ईंटे जर्जर हो गईं हैं। कभी भी भवन ढह जाएगा। ये कहानी अकेले इस केन्द्र की नहीं है। जिले में 70 फीसदी आंगनबाड़ी केन्द्र के भवन जर्जर हैं। कहीं टीनशेड तो कहीं खैपराल में केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। कई जगहों पर तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने घर पर चला रही हैं और कई जगह किराए के कमरे में चल रहे हैं।
जिले में तीन हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। अधिकांश केन्द्र किराए के जर्जर भवन में चल रहे हैं। ज्यादातर केन्द्र आंगनबाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता अपने घर व पड़ोस में चला रही हैं। प्रत्येक भवन का किराया एक हजार से अधिक दिया जा रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र का किराया अलग-अलग निर्धारित किया गया है। केन्द्र संचालक बदहाल केन्द्रों के नाम पर सरकार के खजाने को चपत लगा रहे हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी के कार्यालय में आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने का खेल चल रहा है। छोटी से छोटी जगहों पर नियम-कायदे की अनदेखी कर केन्द्र खोले जा रहे हैं। जबकि शहर के वार्ड-18 के रसिया मोहल्ले में स्थित केन्द्र को जयस्तंभ, गोल पार्क व कालेज चौराहा, प्रकाश चौराहा, बस स्टैंड आदि एरिया को जोड़ा गया है। इसी तरह यूनिवर्सिटी, रतहरा, नेहरू नगर आदि कई जगहों पर छोटी-छोटी एरिया में कई केन्द्र खोले गए हैं। जबकि बड़ी जगहों पर एक-एक केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं।
पोष्टिक खिचड़ी गायब, दोपहर में आलू-टमाटर की सब्जी
शहर के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सुबह का नास्ता नौनिहालों को नहीं मिल रहा है। दोपहर एक बजे का भोजन सुबह ९.३० बजे तक ही पहुंचा दिया जाता है। मंगलवार को पत्रिका टीम ने शहर के कई आंगनबाड़ी केन्द्रों का जायजा लिया तो केन्द्र पर सुबह का नास्ता गायब रहा। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर नाश्ता व थर्डमील नवीन मेन्यू के अनुसार मंगलवार को सुबह पौष्टिक खिचड़ी, दोपहर खीर, पूड़ी और आलू, मटर या फिर चने की सब्जी। आलू चना या मटर की जगह आलू- टमाटर की सब्जी के साथ दो-दो पूड़ी और खीर के नाम पर गीला चावल दिया गया था। वार्ड-18 में स्थित केन्द्र पर 40 बच्चे पंजीकृत हैं। लेकिन, आठ बच्चे ही आए थे। वह भी सहायिका के बुलाने पर। इसी तरह ज्यादातर केन्द्रों पर बच्चों की संख्या एक तिहाई भी नहीं रहे।
गर्भवती महिलाओं को नहीं दिया जा रहा नाश्ता-भोजन
अफसरों की नाक के नीचे आंगनबाड़ी केन्द्र पर गर्भवती, धात्री और किशोरी महिलाओं को न तो नाश्ता दिया जा रहा है और न ही उन्हें नवीन मेन्यू के अनुसार भोजन दिया जा रहा है। केन्द्र पर महिलाओं को पंजीरी और खिचड़ी का पैकेट देकर इतिश्री कर ली जा रही है। हैरान करने वाली बात तो यह कि सरकार बदलने के बाद भी किचेन शेड से मिलने वाला मेन्यू नहीं मिल रहा है। अमहिया, पुष्पराज नगर, नेहरू नगर, रतहरा, घोघर, बिछिया आदि कई मोहल्ले की गर्भवती और किशोरी महिलाओं के परिजनों के अनुसार आंगनबाड़ी केन्द से कभी-कभी पंजीरी का पैकेट मिल जाता है। लेकिन, सुबह न तो नास्ता दिया जाता है और न ही भोजन दिया जा रहा है।