बता दें कि रीवा से करीब 50 किमी दूर स्थित थाना नईगढ़ी, छदनहाई ग्राम निवासी अनिल साकेत (25) पुत्र बुद्धसेन साकेत 15 जनवरी 2015 को लापता हो गया था। पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। बेटे के गायब हो जाने से पिता की मानसिक स्थिति खराब हो गई। काफी खोजबीन के बाद भी उसका पता नहीं चला। फिर एक दिन कहीं से सूचना आई कि वह भटकते हुए दिल्ली-लाहौर बस या ट्रक से पाकिस्तान पहुंच गया था और पाकिस्तानी पुलिस ने उसे जेल में डाल दिया।
ये भी पढें- रीवा के इस परिवार में फिर से जगी आस, पाकिस्तानी जेल से छूट कर आएगा बेटा अब जब अनिल अपने गांव पहुंचा तो गांव वाले भी उसके स्वागत के लिए जगह-जगह पलक पांवड़े बिछाए जमा थे। सबकी आंखों में कुछ सवाल भी थे। मानों हर कोई उससे यह जानने का प्रयास कर रहा हो कि वह पाकिस्तान कैसे पहुंचा और इतने वर्षों तक वह पाकिस्तान में किस तरह से रहा। अनिल किसी के सवालों का जवाब देने के बजाय उनकी नजरों की ओर गौर से देखता रहा। वह पाकिस्तान के लाहौर जेल से रिहा हो कर अपनी सरजमीं पर पहुंच तो गया था पर पुलिस के वाहन में सहमा हुआ सा बैठा नजर आ रहा था।
इससे पहले जिला मुख्यालय पहुंचने पर जयस्तंभ चौराहे पर शहर के सामाज सेवियों ने अनिल का फूलमाला पहना कर स्वागत किया तथा उसको खाने के लिए फल भी सौंपे। वहीं गांव छदनहाई पहुंचने पर ग्रामीणों ने ढोल नगाड़े बजाकर अनिल की अगुवाई की। इस दौरान छदनहाई सहित आसपास के गांव के सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए थे। हर कोई पाकिस्तान में रहे अनिल के बीते पांच वर्ष के कार्यकाल को जानने को उत्सक रहा। इस दौरान सामाज सेवी राजीव पटेल, नीरज पटेल, शहीद मिस्त्री, महमूद खान सहित अन्य लोग शामिल रहे।
उधर अटरी बार्डर से रीवा लाने वाली ग्वालियर पुलिस ने जिला मुख्यालय पहुंचने पर एसपी कार्यालय में आमद दी, फिर पुलिस नईगढ़ी थाना लेकर पहुंची, जहां अनिल की दर्ज गुमशुदगी को लेकर पुलिस ने कार्रवाई करने के साथ उसके गांव में परिजनों के साथ भी लिखा-पढ़ी पूरी की।