विश्वविद्यालय में कर्मचारी एक दर्जन से अधिक मांगों को लेकर पिछले कई वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन उनकी मांगों को लेकर टालमटोल करता रहा है। करीब तीन महीने पहले कर्मचारियों की हड़ताल को विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसी आश्वासन पर स्थगित कराया था कि जल्द ही उनकी मांगें पूरी कर दी जाएंगी। कर्मचारियों की माने तो कुछ एक मांगों को छोड़ दिया जाए तो विश्वविद्यालय का आश्वासन कोरा साबित हुआ है। गौरतलब है कि पूर्व में कर्मचारी तीन फरवरी से तीन मार्च तक हड़ताल पर रहे हैं। आश्वासन के बाद कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हुई।
विश्वविद्यालय प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कर्मचारियों ने सोमवार को कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बुद्धसेन पटेल के मुताबिक कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लेते हुए मंगलवार को आमसभा बुलाई जाएगी। साथ ही पहले तो हर रोज एक घंटे की हड़ताल शुरू होगी। सप्ताहभर के भीतर मांग पूरी नहीं हुई तो हड़ताल का समय धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा।
कर्मचारियों की लंबित प्रमुख मांग
– कर्मचारियों के समयमान का आदेश निकला है लेकिन फिक्सेशन नहीं किया जा रहा है।
– नियमित किए गए 84 कर्मचारियों को पात्रता के बावजूद समयमान नहीं मिल रहा है।
– दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थायी कर्मी बनाने का शासन से आदेश होने के बावजूद नहीं जा रहे हैं।
– कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिया लेकिन एरियर का भुगतान करने जारी नहीं हो रहा आदेश।
– सरकार से स्वीकृति लेने की आड़ में सेवानिवृत्त की आयु बढ़ाने का प्रस्ताव लंबित हैं।
– सुरक्षा व स्कूल के कर्मचारियों की नियुक्ति स्वीकृत पद पर होने के बावजूद नहीं दिया जा रहा है पेंशन
– वर्तमान में चल रही यूजी-पीजी प्रवेश प्रक्रिया होगी प्रभावित
– परीक्षा परिणाम में संशोधन को लेकर छात्र होंगे परेशान
– नए शैक्षणिक सत्र में कक्षाओं का संचालन होगा प्रभावित
– पहले बार होने जा रहे पुराछात्र सम्मेलन में होगा व्यवधान
– अधर में लटक जाएगी पीएचडी पाठ्यक्रम की प्रवेश प्रक्रिया