जिन दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को शासन से पद स्वीकृति के बिना विश्वविद्यालय ने नियमित कर दिया था, वह अब रिटायर्ड भी होते जा रहे हैं। स्वीकृति के पेंच में फंसे होने की वजह से शासन द्वारा पेंशन का लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा है। जिसकी शिकायत लेकर ये रिटायर्ड कर्मचारी भटक रहे हैं। इसके साथ ही पांच कर्मचारियों की मौत हो चुकी है, उनके आश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति के मामले इसलिए लंबित हैं कि कर्मचारियों की नियुक्ति ही पद स्वीकृति के बिना हुई थी। आडिट में भी लगातार आपत्तियां आ रही हैं।
– पूर्व कुलसचिव की जांच भी अधूरी
विश्वविद्यालय द्वारा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 1995 से नियमित वेतनमान दिया जा रहा था। 14 मई 2010 से इन्हें स्थाई घोषित कर दिया गया है। इस पूरे मामले में तत्कालीन कुलसचिव के विरुद्ध जांच चल रही है। उन पर आरोप है कि पद सृजन के लिए शासन से बिना स्वीकृति लिए ही इन्होंने कर्मचारियों को स्थाई घोषित कर वेतनमान भी स्वीकृत कर दिया।
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नियुक्तियों में दागियों की भरमार
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में नियुक्तियों और पदोन्नतियों को लेकर मनमानी निर्णय लिए जाते रहे हैं। यही वजह है कि कई प्रोफेसर के प्रमोशन सवालों के घेरे में हैं। पूर्व में जारी किए गए आदेशों के तहत कइयों की पदोन्नतियां निरस्त की जा चुकी हैं। हाल ही में सिस्टम इंचार्ज पीके राय को प्रोफेसर के रूप में पदोन्नति करने के मामले को राजभवन ने निरस्त कर दिया है। अब पीके राय से नियम विरुद्ध की गई पदोन्नति के समय में लिए गए वेतन की वसूली भी की जाएगी। इनके जैसे विश्वविद्यालय में अन्य कई कर्मचारी हैं, जिनकी नियुक्तियां या फिर पदोन्नतियां सवालों के घेरे में हैं।