शहडोल तक से पहुंच रहे छात्र
विश्वविद्यालय की ओर से परीक्षा परिणाम जारी होने के साथ ही प्रशासनिक भवन में जमा हो रही छात्र-छात्राओं की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। हर रोज एक सौ से अधिक छात्र-छात्राएं अंकसूची में त्रुटि सहित अन्य समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय पहुंच रहे हैं। सतना, सिंगरौली व शहडोल जैसे जिलों में पहुंचने वाले ज्यादातर छात्रों को यह कहकर वापस लौटा दिया जा रहा है कि कॉलेजों संबंधित विवरण अभी उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस स्थिति में छात्र कॉलेज और विश्वविद्यालय के बीच चक्कर काटने को मजबूर हैं।
विश्वविद्यालय की ओर से परीक्षा परिणाम जारी होने के साथ ही प्रशासनिक भवन में जमा हो रही छात्र-छात्राओं की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। हर रोज एक सौ से अधिक छात्र-छात्राएं अंकसूची में त्रुटि सहित अन्य समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय पहुंच रहे हैं। सतना, सिंगरौली व शहडोल जैसे जिलों में पहुंचने वाले ज्यादातर छात्रों को यह कहकर वापस लौटा दिया जा रहा है कि कॉलेजों संबंधित विवरण अभी उपलब्ध नहीं कराया गया है। इस स्थिति में छात्र कॉलेज और विश्वविद्यालय के बीच चक्कर काटने को मजबूर हैं।
कॉलेजों की जल्दबाजी से छात्र परेशान
अंकसूची से संबंधित ज्यादातर समस्याओं में कॉलेजों की लापरवाही सामने आ रही है। दरअसल विश्वविद्यालय के दबाव में कॉलेजों से कॉलेज लेवल टेस्ट व प्रायोगिक परीक्षाओं के अंक भेज तो दिए गए। लेकिन जल्दबाजी में कई छात्र या तो छूट गए या फिर उनके गलत अंक भेज दिए। नतीजा विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की आधी-अधूरी अंकसूची ही जारी कर दी। जो अब छात्रों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
अंकसूची से संबंधित ज्यादातर समस्याओं में कॉलेजों की लापरवाही सामने आ रही है। दरअसल विश्वविद्यालय के दबाव में कॉलेजों से कॉलेज लेवल टेस्ट व प्रायोगिक परीक्षाओं के अंक भेज तो दिए गए। लेकिन जल्दबाजी में कई छात्र या तो छूट गए या फिर उनके गलत अंक भेज दिए। नतीजा विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की आधी-अधूरी अंकसूची ही जारी कर दी। जो अब छात्रों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
समस्या निवारण में नियम कायदे ताक पर
वैसे तो लोक सेवा गारंटी के तहत छात्र-छात्राओं की समस्या निवारण के लिए एक निश्चित दिवस निर्धारित है। लेकिन विश्वविद्यालय में लोक सेवा के इस गारंटी का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि अंकसूची में संशोधन के लिए निर्धारित दो दिवस की अवधि के बजाए छात्र महीनों से परेशान हैं। हकीकत यह है कि जागरूकता के अभाव में छात्र न ही अधिनियम के तहत आवेदन करते हैं और न इसके लिए उन्हें कोई प्रेरित ही करता है।
वैसे तो लोक सेवा गारंटी के तहत छात्र-छात्राओं की समस्या निवारण के लिए एक निश्चित दिवस निर्धारित है। लेकिन विश्वविद्यालय में लोक सेवा के इस गारंटी का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि अंकसूची में संशोधन के लिए निर्धारित दो दिवस की अवधि के बजाए छात्र महीनों से परेशान हैं। हकीकत यह है कि जागरूकता के अभाव में छात्र न ही अधिनियम के तहत आवेदन करते हैं और न इसके लिए उन्हें कोई प्रेरित ही करता है।
समस्याएं, जिनको लेकर छात्र हैं परेशान
– अंकसूची में सीसीइ व प्रायोगिक परीक्षा का अंक नहीं चढ़ा
– परीक्षा देने के बावजूद अंकसूची में छात्र को है अनुपस्थित
– विषयों के प्राप्तांक से उत्तीर्ण, लेकिन कुल प्राप्तांक में फेल
– कॉलेज का परिणाम घोषित, कई छात्र-छात्राओं का लंबित
– कई पाठ्यक्रमों में छात्र दर्जनों की संख्या में हैं अनुत्तीर्ण
– अंकसूची में सीसीइ व प्रायोगिक परीक्षा का अंक नहीं चढ़ा
– परीक्षा देने के बावजूद अंकसूची में छात्र को है अनुपस्थित
– विषयों के प्राप्तांक से उत्तीर्ण, लेकिन कुल प्राप्तांक में फेल
– कॉलेज का परिणाम घोषित, कई छात्र-छात्राओं का लंबित
– कई पाठ्यक्रमों में छात्र दर्जनों की संख्या में हैं अनुत्तीर्ण