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mp election 2018 : ‘हमारे – आपके लिए ये दुकानें नहीं बन रही, हम जैसे साधारण लोगों की क्षमता नहीं है कि उन दुकानों को ले सकें’

locationरीवाPublished: Nov 16, 2018 01:15:57 pm

Submitted by:

Vedmani Dwivedi

चौक से चौक चर्चा, युवाओं ने बेरोजगारी बताई तो व्यवसाइयों ने कहा व्यापार चौपट हुआ

MP Assembly Elections

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रीवा. लोगों की नब्ज को पकडऩे और जनता क्या चाहती है प्रदेश की नई सरकार से? बीते पांच साल में जनता सरकार से कितना संतुष्ट है? इसको लेकर पत्रिका की ओर से चौक से चौक अभियान की शुरुआत की गई है।

गुरुवार को हम रीवा शहर के सिरमौर चौराहा से अमहिया रोड होते हुए अस्पताल चौराहा, प्रकाश चौराहा, जयस्तंभ चौराहा से पुराने बस स्टैण्ड तक गए। वहां युवा, व्यापारी, बुजुर्ग सहित हरवर्ग के मतदाताओं से बात की। युवा वर्ग बेरोजगारी से जूझ रहा, तो बुजुर्गों को भी अपने बेटे के रोजगार की सबसे बड़ी चिंता है।

शहर में बन रहे बड़े – बड़े कांप्लेक्स से भी उन्हें कोई उम्मीद नहीं है। मजदूर एवं छोटे व्यवसाई को भी सरकार से कोई उम्मीद नहीं है। दवा व्यवसाई कहते हैं कि उनका व्यापार चौपट हो गया। ऑटो चालक खराब सडक़ को लेकर चिंतित हैं। गरीब वर्ग कहता है सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है। मंत्री, विधायक उनकी सुनते नहीं।

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सिरमौर चौराहा
शहर के विकास के बारे में पूछने पर सिरमौर चौराहा के समीप बन रहे समदडिय़ा कांप्लेक्स की ओर इशारा करते हुए वीवी सिंह कहते हैं हमारे – आपके लिए ये दुकानें नहीं बन रही हैं। हम जैसे साधारण लोगों की क्षमता नहीं है कि उन दुकानों को ले सकें।

उद्योग मंत्री शहर के रहे लेकिन कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं कर पाए। आम आदमी, गरीब एवं बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं हुआ। अपने स्वार्थ के लिए काम किया। 15 वर्ष हो गए कुछ हुआ नहीं। ऑडिटोरियम में डॉंस करके क्या युवाओं का जीवन चलेगा।

अमहिया रोड़
हमें तो समोसा ही तलना है, चाहे सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की। हमारी सुध लेने कोई नहीं आएगा। इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता की विधायक कौन बनता है? वोट देना है तो जिस दिन मतदान होगा जाके वोट कर देंगे।

आप किसे वोट करेंगे सरकार बदलनी है की नहीं? इस सवाल पर सडक़ के किनारे समोसा तलते रमेश सोंधिया ऐसा ही जवाब देते हैं। उनके साथ खड़े विष्णू सोंधिया कहते हैं हम गोविंदगढ़ से मजदूरी करने रीवा आते हैं। हम गरीबों की इतनी हैसियत कहां कि मंत्री, विधायक से बात कर सकें।

अस्पताल चौराहा
आशीष चड्डा कहते हैं उधर देखीए आप को साफ – सुधरी सडक़ दिख रही है। पहले दुकान के सामने बड़े – बड़े गड्ढे थे। अब आप ही देखिए कितनी अच्छी सडक़ है। यह तो इसी सरकार में मिला। सामने अस्पताल है वहां उपचार एवं जांच पूरा फ्री में हो रहा है। विकास तो यही है। थोड़ा और सुधार की जरूरत है। अस्पताल के आईसीयू में साफ – सफाई नहीं है। वहां काकरोच मिल जाते हैं। टेबिल पर काकरोच घूमते रहते हैं। लेकिन अब कोई यह कहे की कुछ हुआ ही नहीं तो यह हम मानने के लिए तैयार नहीं हैं।

पंकज जैन कहते हैं आज शहर में बाहर के लोग आते हैं तो कहते हैं रीवा काफी बदल गया। लोगों को मुफ्त में सारी दबाइयां मिल रही है। हां यह बात सही है कि इस सरकार के निर्णय की वजह से हम मेडिकल व्यवसाइयों का व्यवसाय चौपट हुआ, वो तो होना ही था। लोगों को मुफ्त में दवा दे रहे हैं तो यह भी तो उनकी उपलब्धियां ही है न।

प्रकाश चौराहा
विकास की बता सुन रामनरेश कुशवाहा झल्ला जाते हैं कहते हैं गुढ़ चौराहे से पुलिस लाइन रोड़ 15 वर्ष हो गया उसी तरह खराब है। उधर जा के देखिए पुलिस लाइन से रीठी तक आरसीसी रोड़ बनी थी। कुछ ही दिन में सडक़ पर गड्ढा ही गड्ढा हो गया। विकास व्यवस्थित नहीं हो रहा है।

स्टेच्यू चौराहा
मनीष अग्रवाल कहते हैं देखिए ऐसा है एक समय था जब शहर में चलने लायक सडक़ नहीं थी। शिल्पी प्लाजा में रीवा सिमटा हुआ था। आज शहर के बीच सडक़ बन गई है। महानगर की तर्ज पर रीवा उभर रहा है। पॉलीटेक्निक कॉलेज, कलेक्ट्रेट की बिल्डिंग बन गई। शहर में ट्रैफिक की समस्या अब ज्यादा नहीं है।

हां अभी और भी काम करने की जरूरत है लेकिन कोई यह कहे की कुछ हुआ ही नहीं तो ऐसा नहीं है। नीतेश नामदेव कहते हैं कि पहले छोटी पुल से सिविल लाइन तक बहुत जाम लगता था। अब पुल बन जाने एवं सडक़ चौड़ीकरण हो जाने से जाम नहीं लगता।

जयस्तंभ चौराहा
शशीधर तिवारी कहते हैं शहर का विकास करना है तो किसी न किसी को तो लाना ही पड़ेगा समदडिय़ा न होता तो अन्य कोई होता। समदडिय़ा का चुनाव में कोई मुद्दा नहीं। आखिर में जो दुकानें एवं कांप्लेक्स बने हैं रीवा के ही लोगों के लिए तो बने हैं। यहीं के लोग दुकान लेकर व्यवसाय करेंगे।

पुराना बस स्टैण्ड
पुराने बस स्टैण्ड में अपने ऑटो से सवारियों को उतारते हुए मोनू ताम्रकार कहते हैं कि मैं जिस ऑटो को चला रहा हूॅ यह हमें नगर निगम से मिली है। पहले मैं मजदूरी करता था। गुढ़ चौराहा की रोड़ बन जाए तो ऑटो चलाने में दिक्कत न हो। वहां गड्ढे की वजह से ऑटो पलट जाता है।

काम और तेज होना चाहिए। विक्रम खटिक भी मोनू के साथ ऑटो में रहते हैं। कहा कॉलोनियों के अंदर सडक़ में कई जगह बड़ी – बड़ी नालियां है। वहां ऑटो नहीं चल पाता।

कॉलेज चौराहा
महिलाओं के साथ अत्याचार एवं अपराध कम नहीं हो रहा है। रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। पेट्रोल – डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे। सरकार पर तंज कसते हुए रुचि पाण्डेय कहती हैं यही तो विकास हो रहा है। महिलाओं के 50 फीसदी आरक्षण की बात तो होती है लेकिन आज तक दिया नहीं गया। पाण्डेय सरकार के रवैए को लेकर खासा नाराज हैं।

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