2013 के चुनाव में कांग्रेस के सुखेन्द्र सिंह बन्ना यहां से 38898 मत प्राप्त कर भाजपा के लक्ष्मण तिवारी को हराया था। तिवारी को 28132 वोट ही मिल पाए थे। अब जहां कांग्रेस से एक बार फिर सुखेन्द्र सिंह की ही दावेदारी है वहीं लक्ष्मण तिवारी भाजपा छोड़ चुके हैं और वे निर्दलीय उम्मीदवार हो सकते हैं। ऐसे में भाजपा की मुश्किल बढ़ेगी।
ये हैं प्रमुख मद्दे
मऊगंज को जिला बनाना, बाणसागर का पानी पहुंचाना, खराब सडक़ें सहित शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मुद्दे यहां प्रमुख रूप से हैं। जिनसे भाजपा एवं कांग्रेस को पार पाना होगा।
कांग्रेस के मजबूत दावेदार
* सुखेन्द्र सिंह बन्ना- विधायक
* ज्ञानेन्द्र सिंह-कांग्रेस नेता।
* विश्वनाथ मिश्रा-कांग्रेस नेता।
* शेख मुख्तार सिद्धीकी वरिष्ठ कांग्रेस नेता।
भाजपा से इनकी है दावेदारी
* अखण्ड प्रताप सिंह-पूर्व प्रत्याशी।
* राजेन्द्र मिश्रा-भाजपा नेता।
* श्रीधर पयासी-भाजपा नेता।
* प्रदीप पटेल-अध्यक्ष पि.वर्ग
ये भी ठोक रहे ताल
मऊगंज में बसपा से मृगेन्द्र सिंह, मंजूलता पटेल, बृजवासी पटेल, निर्दलीय के रूप में लक्ष्मण तिवारी वर्तमान विधायक, आप से घोषित जगजीवन लाल शुक्ला, संतोष सिंह सिसोदिया, राजू ङ्क्षसह सेंगर, राममणि शुक्ला, सत्यमणि पाण्डेय आदि हैं।
जातीय समीकरण
मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण चुनावी समीकरण को प्रभावित करेगा। यहां 55 हजार ब्राह्मण, 36 हजार पिछड़ा वर्ग, 30 हजार आदिवासी, 18 हजार हरिजन, 15 हजार ठाकुर के साथ ही मुस्लिम व अन्य वर्ग के भी मतदाता हैं। व्यापारियों की भूमिका यहां महत्वपूर्ण होती है।
इनसे होगा निपटना
भाजपा के लिए मऊगंज को जिला बनाने के मुद्दे पर लोगों को समझा पाना बड़ी चुनौती होगी। क्योंकि सीएम ने जिला बनाने का आश्वासन दिया था और फिर पीछे हट गए। वहीं कांग्रेस के लिए एससी-एसटी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की चुनौती रहेगी।
विधायक की परफॉर्मेंस
जनता की समस्याओं को विस में उठाने में आगे रहे। जिला बनाने के मुद्दे का समर्थन किया और बाणसागर का पानी लाने के मुद्दे को उठाया जरूर लेकिन इनको धार नहीं दे पाए। वहीं जातीय विद्वेष रोक पानी में विधायक सुखेन्द्र सिंह कुछ हद तक ही सफल हो पाए। इसलिए उनको कड़ी चुनौती से गुजरना होगा।