scriptMP election 2018: सरकार ने कौड़ियों के दाम दे दी 12 गांवों की जमीन, फिर भी सूरत-मुंबई जा रहे बेरोजगार | Assembly Elections MP-2018: Government gives caudio price to 12 villag | Patrika News

MP election 2018: सरकार ने कौड़ियों के दाम दे दी 12 गांवों की जमीन, फिर भी सूरत-मुंबई जा रहे बेरोजगार

locationरीवाPublished: Nov 01, 2018 09:08:00 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

पत्रिका अभियान मेरा वोट मेरा संकल्प कार्यक्रम के तहत आयोजित बैठक में बहिनीदरबार की महिलाओं ने बेबाक उठाए मुद्दे

Assembly Elections MP-2018: Government gives caudio price to 12 villag

Assembly Elections MP-2018: Government gives caudio price to 12 villag

रीवा. दो वक्त की रोटी के लिए पहाड़ में हाड़ तोड़ मेहनत के बाद आधी उम्र में ही जिदंगी जवाब दे रही है। रोजगार के तलाश में सूरत, मुबंई, नागपुर जैसे शहरो में युवाओं का पलायन। तराई अंचल के गांवों में जीवन यापन के लिए आवासीय व कृषि योग्य भूमि के पट्टे पर कब्जा पाने और गरीबी रेखा में नाम जुड़वाने के लिए अफसरों की चौखट पर पसीना बहा रहे हैं। गांवों में भूलभूत सुविधाएं पानी, सडक़ और शिक्षा का तो दूर-दूर तक नाता नहीं है। सरकार की मनरेगा में भी गरीब परिवारों के बच्चों को रोजगार मुहैया नहीं हो सका। ये मुद्दे गुरुवार दोपहर पत्रिका के स्लोगन ‘मेरा वोट मेरा संकल्प’ के तहत डभौरा में आयोजित बैठक के दौरान बहिनी दरबार की महिलाओं ने उठाए।
बहिनीदरबार की महिलाओं ने बुलंद की आवाज
जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर स्थित डभौरा के अंबेडकर नगर में आयोजित बैठक में क्षेत्र के दो दर्जन से ज्यादा गांवों की महिलाएं और बेटियां जुटीं। बहिनी दरबार की प्रेमवती आदिवासी ने कहा, क्षेत्र में सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे जमीन पर कोई काम नहीं हो रहा। निर्मला आदिवासी ने कहा मनरेगा में मजदूरों को रोजगार नहीं मिलने से गरीब परिवार के युवाओं का पलायन बढ़ गया है। विभा साकेत ने कहा, सरकार ने क्षेत्र के 12 गांवों की जमीन कौडिय़ों के दाम लेकर कंपनी को पावर हाउस बनाने के लिए दे दिया। सभी को उम्मीद थी कि पावर हब बनाने से क्षेत्र के बीस हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा।
पड़ोसी राज्य सहित सूरत-मुंबई जा रहे बेरोजगार
ममता प्रजापति ने कहा, रोजगार मिलने से युवाओं को काम के लिए सूरत, मुबंई और पड़ोसी राज्य यूपी के शंकरगढ़ में पहाड़ तोडऩे के लिए नहीं जाना पड़ेगा। संजू ने कहा, सिंचाई का संसाधन नहीं होने से दर्जनभर से ज्यादा गांवों में किसानों की फसल सूख जाती है। लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि इस बार वोट सोच-समझकर देना होगा। जो सम्पूर्ण विकास की बात करें उसी को मतदान करना होगा।
बैठक में ये रहीं मौजूद
बैठक के दौरान विभा वर्मा, सावित्री वर्मा, रामलली, प्रीति, विमला, संजू वर्मा, राजकली आदिवासी, सुनीता, सुखवरिया, कौशिल्या, कृष्णा कोल, संतोष कुमारी, रामसखी वर्मा, कैलशिया दिपांकर, उर्मिला जायसवाल सहित दर्जनों की संख्या में महिलाएं और बेटियां मौजूद रहीं। सभी ने क्षेत्रीय मुद्दों को बेबाकी से उठाए।

आदिवासी बस्ती में भूमिहीनों को जमीन का पट्टा दे दिया गया है, ज्यादातर गरीबों को कब्जा नहीं मिल सका। जिसे कब्जा भी मिला है उसका तहसील के रेकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा रहा है। ऊषा यादव,
सिरमौर और जवा तहसील के तराई अंचल के गरीब बस्तियों में पानी का संकट है, लोगों के पीने के लिए न तो प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही क्षेत्रीय अमला। सरकार भी पानी के लिए ठोस व्यवस्था नहीं बना सकी है। जन्मावती साकेत

क्षेत्र के दो दर्जन से ज्यादा दलित-आदिवासी गांव मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ सके हैं। कई बार क्षेत्रीय नेताओं से लेकर विकास अधिकारियों को आवेदन दिया गया। किसी ने ध्यान नहीं दिया। विनीता वर्मा
बस्तियों में गरीबों को एक रुपए किलो राशन का लाभ नहीं मिल रहा है। मनरेगा के तहत न तो रोजगार मिला और न ही बेरोजगारी भत्ता दिया गया। मनरेगा के तहत ज्यादातर काम मशीनों से कराया जा रहा है। शांति विश्वकर्मा
ये प्रमुख मुद्दे आए सामने
० अधिग्रहीत की गई 12 गांवों की जमीन पर पावर हाउस चालू कराया जाए।
० तराई अंचल में उद्योग स्थापित किया जाए।
० मार्ग विहीन गरीब बस्तियों को मुख्य मार्ग से जोड़ा जाए।
० गरीब बस्तियों में गरीब परिवारों के राशन कार्ड बनाए जाए।
० एजुकेशन को मजबूत करने के साथ ही बंद स्कूलों को चालू कराया जाए।
० पेयजल से निपटने के लिए ठोस व्यवस्था की जाए।
० गांवों में लगाए गए हैंडपंपों की पाइप लाइन बढ़ाई जाए।
० सिंचाई का संसाधन बढ़ाया जाए।
० मनरेगा के तहत रोजगार दिया जाए।
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