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विधानसभा रीवा : भाजपा का तिलिस्म क्या तोड़ पाएगा विपक्ष, जानिए सच…

locationरीवाPublished: Sep 06, 2018 01:03:12 pm

Submitted by:

Mahesh Singh

भाजपा को टक्कर देने की तैयारी में कांग्रेस, बसपा और सपा

Assembly Rewa: BJP's Tilism will be able to break opposition

Assembly Rewa: BJP’s Tilism will be able to break opposition

रीवा. विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित होने में महीनेभर से अधिक का समय अभी बाकी है, लेकिन जिले में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। जिले की सबसे हॉट सीट रीवा विधानसभा हैं। जहां दावेदारों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। लड़ाके मैदान में उतरने की तैयारी के साथ अपनी बिसात बिछाने लगे हैं। अभी शहर की इस नामी सीट पर भाजपा का कब्जा है। रीवा में मंत्री राजेन्द्र शुक्ला विधायक हैं। कांग्रेस और बसपा में इस बार गठबंधन की चल रही कयासें सही हुई तो भाजपा को कड़ी टक्टर से गुजरना होगा। भाजपा की फूट का फायदा उठाकर कांग्रेस, बसपा अपना खाता खोलने को बेताब हैं। क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा भाजपा छोड़कर कांग्रेस से मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

नए चेहरे इस बार चुनाव को बनाएंगे रोचक
रीवा विधानसभा का चुनाव इस बार नए चेहरों की वजह से रोचक होने की संभावना है। भाजपा से लगातार तीन बार से जीत रहे मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को घेरने दो दर्जन नेता दमखम के साथ तैयारी कर रहे हैं। कांग्रेस में करीब दर्जनभर दावेदार हैं, जिसमें कई ऐसे चेहरे हंै जो मंत्री की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। पिछले चुनाव में बसपा निकटतम रही है।

ये हैं चार मुद्दे
महंगाई व भ्रष्टाचार, कोर्ट भवन स्थानांतरण,भूमियां बिल्डर्स को देना, शहर की सड़कें व ग्रामीण क्षेत्र की अनदेखी


भापजा के मजबूत दावेदार
* राजेन्द्र शुक्ला- तीन बार से विधायक, मंत्री। शहर में विकास।
* वीरेन्द्र गुप्ता- पूर्व महापौर, शिवेन्द्र पटेल पूर्व मेयर, विकल्प मानते हैं।

कांग्रेस के मजबूत दावेदार
* अभय मिश्रा – जिला पंचायत अध्यक्ष। हाल में भाजपा से आए
* कृष्ण कुमार गुप्ता -2013 में दूसरे नंबर थे


ये भी ठोक रहे ताल
* कांग्रेस-कविता पाण्डेय, राजेन्द्र शर्मा, गुरमीत सिंह, जयंत खन्ना।
* आप-राजीव सिंह परिहार
* सपा-अजय शुक्ला, वीरेन्द्र पटेल
*निर्दलीय-राजेन्द्र पांडेय, नागेन्द्र सिंह गहरवार, सुब्रतमणि त्रिपाठी

जातिगत समीकरण
ब्राह्मण, वैश्य, मुस्लिम, पटेल और क्षत्रिय वोट ज्यादा हैं। शुक्ला की व्यापारियों में अच्छी पैठ और परंपरागत वोट। इस बार ब्राह्मण अभय मिश्रा भी ताल ठोक रहे हैं।


प्रमुख पार्टियों की चुनौतियां
कांग्रेस के लिए जातीय समीकरण से पार पाना और अपने परंपरागत वोटों को रिझाना। वहीं लगातार तीन बार से भाजपा सत्ता में है, परिवर्तन की लहर को रोक पाना भाजपा की बड़ी चुनौती होगी। साथ ही एससीएसटी एक्ट से निपटने की भी चुनौती है। सवर्ण खासे नाराज हैं।

विधायक की परफॉर्मेंस
विधायक व उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने शहर में विकास कार्य भी किए हैं। तेजी से विस्तार हुआ और प्रमुख शहरों की दौड़ में शामिल हुआ। ग्रामीण क्षेत्र की अनदेखी चुनौती बनेगी। व्हाईट टाइगर सफारी, सोलर पॉवर, भव्य ऑडोटोरिया, फ्लाईओवर, रानीतालाब का सौंदर्यीकरण, सुपर स्पेशलिटी जैसे अच्छे कार्य हुए हैं।
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