वीरबहादुर ने बताया कि एक बार दिल्ली से लगे हरियाणा के दौरे पर थे। जहां पर स्थानीय नेताओं ने स्टाफ से कहा कि ड्राइवर और अन्य को भी भोजन करा देना। यह बात उनके कानों में पड़ी तो पलटकर बोले, ड्राइवर नहीं सारथी हैं वह सब मेरे। प्रधानमंत्री द्वारा बोले गए ऐसे शब्दों से मन भावनाओं से भर गया। उनके प्रति सम्मान और बढ़ गया। उन्होंने साबित किया कि अंतिम छोर के व्यक्ति के लिए भी उनके मन में सम्मान का भाव है।
दिन भर टीवी पर लगाए रहे नजर
पूर्व प्रधानमंत्री की तबियत खराब होने की जानकारी जैसे ही मिली, पूरे दिन घर से बाहर नहीं निकले। टीवी पर ही नजर गड़ाए रहे। सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले ही दिल्ली गए थे, निजी स्टाफ के कुछ सदस्य परिचित थे तो देखने का अवसर मिला। वह अचेत हालत में थे। उन्हें देखने के बाद से ही मन व्यथित था और अब निधन की खबर ने बड़ा झटका दिया है। परिवार के सदस्य की तरह ही उनका मन में सम्मान था।
पूर्व प्रधानमंत्री की तबियत खराब होने की जानकारी जैसे ही मिली, पूरे दिन घर से बाहर नहीं निकले। टीवी पर ही नजर गड़ाए रहे। सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले ही दिल्ली गए थे, निजी स्टाफ के कुछ सदस्य परिचित थे तो देखने का अवसर मिला। वह अचेत हालत में थे। उन्हें देखने के बाद से ही मन व्यथित था और अब निधन की खबर ने बड़ा झटका दिया है। परिवार के सदस्य की तरह ही उनका मन में सम्मान था।