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सड़कों और खेतों में घूम रहे आवारा मवेशियों के संरक्षण के लिए प्रशासन को दिए गए ये सुझाव, समस्या से मिलेगा छुटकारा

locationरीवाPublished: Jan 23, 2020 09:02:56 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

मवेशियों के लिए भूसा और पुआल कलेक्शन सेंटर बनाने की उठी मांग- मवेशियों के उपचार के लिए 108 की तर्ज पर जारी हो टोलफ्री नंबर- कई संगठनों की ओर से जिला प्रशासन को आवारा मवेशियों के लिए दिए गए सुझाव

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रीवा। जिले में आवारा मवेशियों की बढ़ी हुई समस्या के चलते एक ओर किसान परेशान हैं तो वहीं इन मवेशियों के संरक्षण में लगे लोगों ने कहा है कि ऐसी व्यवस्थाएं बनाई जाएं जिससे इनके खाने-पीने का बेहतर इंतजाम हो सके। कई अलग-अलग संगठनों की ओर से मांग उठाई गई है कि आवारा मवेशियों को गांवों में लोग बाड़े में बंद कर रहे हैं और उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं दिया जाता। जिससे उनकी मौतें भी हो रही हैं। इसलिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के अलग-अलग स्थानों पर ऐसे कलेक्शन सेंटर बनाए जाएं जहां पर भूसा, चारा एवं पुआल सहित अन्य सामग्री लोग मवेशियों के लिए दान कर सकें। इससे बड़ी मात्रा में मवेशियों के खाने से जुड़ी सामग्री एकत्र होगी। इससे उन मवेशियों को यह पहुंचाया जा सकेगा, जहां पर बाड़ों में मवेशियों को बंद करके रखा जा रहा है। इस व्यवस्था की कमान प्रशासन से लेने की मांगें उठी हैं। गौ सेवा के लिए काम कर रहे एसके चतुर्वेदी ने कहा कि बड़ी संख्या में जानवर भूख के चलते मर रहे हैं। इससे बचाने के लिए चारा-भूसा का कलेक्शन सेंटर खोला जाना चाहिए, जहां पर लोग दान स्वरूप सामग्री देंगे। यह केवल आवारा मवेशियों तक ही नहीं बल्कि गौशालाओं में पल रहे जानवरों को भी देने के काम आएगी।
– आग लगाकर नष्ट कर देते हैं किसान
गांवों में अब किसान घरों पर मवेशी नहीं पाल रहे हैं। मशीनीकरण के दौर में बड़ी मात्रा में लोग भूसा, चारा, पैरा आदि आग लगाकर नष्ट करते हैं। इस सामग्री को दान देने की व्यवस्था प्रारंभ होने से किसानों को भी नष्ट करने की जरूरत नहीं होगी और मवेशियों के लिए भी बड़ी राहत होगी।
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पशु क्रूरता की लगातार घटनाएं हो रही हैं, इससे बचाने के लिए चारा-भूसा के लिए कलेक्शन सेंटर बनाए जाने चाहिए। प्रशासन से मांग की है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जो अमला काम कर रहा है, उसकी ड्यूटी लगाएं कि वह मवेशियों के खाने की सामग्री संकलित कर गौशालाओं और बाड़ों तक पहुंचाएं। इससे पशु क्रूरता में रोक लग सकेगी।
शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता


जनता को गौवंश की सुरक्षा के लिए आगे आना होगा। किसान चारा-भूसा जो अब उनके लिए अनुपयोगी होता रहा है, उसे दान करने की शुरुआत करें। इससे हजारों की संख्या में बेसहारा गौवंश को राहत मिलेगी। झोंटिया गांव में जनसहयोग से बड़ी गौशाला संचालित हो रही है। उसी तर्ज पर दूसरी जगह भी काम करने की जरूरत है।
रोहित तिवारी, अध्यक्ष विंध्य गौसेवा समिति
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बसहट का मामला मंत्री के निर्देश के बाद भी ठंडे बस्ते में
बसहट गांव में बीते पांच जनवरी को कांजी हाउस एवं अवैध बाड़े में बड़ी संख्या में मृत मवेशियों को निकाला गया था। करीब सैकड़ा भर से अधिक संख्या में मरे जानवरों की जिम्मेदारी अब तक प्रशासन तय नहीं कर पाया है। जबकि इस मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने भी निर्देश दिया है कि इस घटना में शामिल किसी भी सख्श को नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने अधिकारियों से मामले की पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इसके साथ ही संभागायुक्त ने भी टीम गठित कर जांच के निर्देश दिए थे। अधिकारियों ने केवल पशु विभाग के अधिकारियों को दोषी माना है, जिसके चलते दो अधिकारियों को नोटिस जारी की गई है। घटना के तत्काल बाद ही पुलिस ने सरपंच सहित 17 किसानों पर एफआइआर दर्ज किया है।वहीं घटना में शामिल ग्राम पंचायत के सचिव, पटवारी, ग्राम रोजगार सहायक, कोटवार सहित अन्य की भूमिका अब तक तय नहीं हो पाई है। लगातार हो रहे इस विलंब पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि कर्मचारियों को राजनीतिक संरक्षण दिए जाने की वजह से उन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
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