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प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट: एक फीसदी ही परिवारों का पंजीयन, इस योजना से आप के परिवार को भी मिलेगा लाभ

locationरीवाPublished: Feb 19, 2019 11:36:49 am

Submitted by:

Rajesh Patel

जिले में आयुष्मान निरामय स्वास्थ्य योजना अधिकारियों के अनदेखी की चढ़ी भेंट, रीवा में 2.80 लाख परिवारों का होना है पंजीयन

PM MOdi

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रीवा. जिले में आयुष्मान निरामय स्वास्थ्य योजना जिम्मेदारों की अनदेखी की भेंट चढ़ गई है। अधिकारियों की लापरवाही इस कदर है कि लक्ष्य के ९९ फीसदी परिवारों का पंजीयन नहीं कर सके। अभी तक निर्धारित परिवारों में से महत एक फीसदी ही परिवारों का पंजीयन हो सका है। उधर, इलाज का क्लेम पास होने के बाजवूद पांच माह से चालीस लाख रुपए से अधिक का भुगतान नहीं हो सका है।
रीवा में 2.80 लाख परिवारों का होना है पंजीयन
जिले में आयुष्मान निरायम स्वास्थ्य योजना के तहत जिले में चिन्हिृत 2.80 लाख परिवारों को इलाज का लाभ देने के लिए पंजीयन कर कार्ड बनाया जाना है। पांच माह बीतने के बाद अभी तक महज 1570 परीजों का पंजीयन हो सका है। आंकड़े बताते हैं कि अभी तक महज 1.1 फीसदी परिवारों का ही पंजीयन हो सका है। सितंबर से योजना चालू होने के बाद प्रचार-प्रसार लेकर अब तक 1474 मरीजों का इलाज इस योजना के तहत हुआ है।
कामन सेंटर पर पंजीयन के लिए लगेंगे 30 रुपए
सीएमएचओ ने बताया कि पंजीयन की दो प्रक्रिया है। सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान भी पंजीयन कर कार्ड बनाया जा रहा है। इसके अलावा जिले में कामन सर्विस सेंटर खोले गए हैं। कामन सेंटरों पर पंजीयन के लिए ३० रुपए की रसीद कटवानी होगी। कामन सेंटरों को इ-गर्वेंस की ओर से मॉनीटरिंग की जा रही है। जिले में इ-गर्वेंस की व्यवस्था भगवातन भरोसे चल रही है।
एक करोड़ से अधिक राशि स्वीकृत
इलाज में खर्च के लिए 1.08 करोड़ रुपए से अधिक का क्लेम स्वीकृत हुआ है। अभी करीब सौ मरीजों के इलाज का भुगतान विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते लटका हुआ है। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि स्वीकृत क्लेम में से 64 लाख रुपए का भुगतान हो सका है। अभी 43 लाख रुपए से अधिक क्लेम का भुगतान नहीं हो सका है। उदाहरण के तौर संजय गांधी हॉस्पिटल, कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय सहित एक अन्य निजी हॉस्पिटल में पंजीयन के लिए केन्द्र खोले गए हैं। केन्द्रों पर न तो कर्मचारी रहते हैं और न ही पंजीयन के लिए लोगों को सही जानकारी दी जाती है। निजी हॉस्पिटल तो मरीजों के इलाज के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं। कई बार शिकायत के बाद भी विभागीय अधिकारी लापरवाह बने हैं।
एसजीएमच में सबसे अधिक पंजीकृत
जिले में स्वास्थ्य अधिकारियों की अनदेखी के चलते शासन स्तर पर निर्धारित लिस्ट में से अभी तक पांच फीसदी भी लोगों का पंजीयन नहीं हो सका है। पांच माह बीतने के बाद भी जिम्मेदार लापरवाह बने हैं। पंजीयन की गति कछुआ चाल से भी धीमी चल रही है। जिले में अभी तक महज डेढ़ हजार ही लोगों का पंजीयन हो सका है।

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