दो दिन बैंक बंद रहने से करोड़ों का नुकसान, अब शाखाओं में बढ़ी भीड़
बैंकों के दूसरे दिन भी नहीं खुले ताले, कर्मचारियों का सड़क पर प्रदर्शन
- ग्राहकों को लगातार दो दिन बैंक बंद होने की वजह से समस्याओं का करना पड़ा सामना

रीवा। बैंकों के निजीकरण के विरोध में लगातार दूसरे दिन भी बंैकों की शाखाएं बंद रहीं और वहां पर किसी तरह का कामकाज नहीं हुआ। इस दौरान बैंकों के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। पहले बैंक शाखाओं के बाहर नारेबाजी की फिर शहर के सिरमौर चौराहे के पास यूनियन बैंक की मुख्य शाखा के पास एकत्र हुए। यहां कर्मचारियों ने शहर में रैली निकालकर अपनी मांगों को लेकर हुंकार भरी।
यह आंदोलन यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के आह्वान पर पूरे देश में आयोजित किया गया। १५ एवं १६ मार्च को बैंक बंद होने की सूचना पहले ही जारी की गई थी। लगातार बैंकों का कामकाज ठप होने से ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ा है। वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना होने की वजह से भी बड़ी संख्या में लोग बिना काम के ही वापस लौटे। इधर केन्द्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण के निर्देश का विरोध लगातार दूसरे कर्मचारियों की ओर से किया गया। यूनियन बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, इंडियन बैंक सहित अन्य कई प्रमुख बैंकों के कर्मचारियों ने सिरमौर चौराहे से एक रैली निकाली। यह रैली शहर के अमहिया, अस्पताल चौराहा, प्रकाश चौराहा, शिल्पी प्लाजा, पीली कोठी, कालेज चौराहा होते हुए फिर सिरमौर चौराहे में पहुंची, जहां पर दो दिन तक चले आंदोलन के समापन की घोषणा की गई। इस दौरान बैंक कर्मचारियों के संगठन के कई प्रमुख पदाधिकारियों ने अपनी बातें रखी और कहा कि सरकार यदि उनकी मांगों को नहीं मानेगी तो बड़ा आंदोलन चलाना होगा। इसके लिए सभी कर्मचारी तैयार रहें।
इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से बैंक अधिकारी संगठन के लिंकन पाण्डेय, ऋषभ श्रीवास्तव, प्रतीक जायसवाल, ब्रजेश सिंह, रोहित सोंधिया, विपिन दाहिया, पुष्पेन्द्र सिंह, प्रमोद सोनी, पुष्पेन्द्र यादव, पंकज सिंह सहित अन्य मौजूद रहे। एक बैंक कर्मचारियों का एक समूह भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में एकत्र हुआ, जहां पर अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की। इस दौरान अशोक द्विवेदी, प्रवीण पाण्डेय, गोपालशरण तिवारी, प्रतिभा शर्मा सहित अन्य ने अपनी बातें रखीं। इसके साथ ही केनरा बैंक से मनिंदर सिंह, ऋतुराज मिश्रा, बसंतलाल आदि की अगुआई में भी रैली निकाली गई।
- गांव एवं सुदूर क्षेत्र की बैंकिंग सुविधा हो जाएगी बंद
प्रदर्शन कर रहे बैंक अधिकारी, कर्मचारियों ने कहा कि निजीकरण से समाज के बड़े हिस्से को बैंकिंग सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है। अभी गांवों और सुदूर क्षेत्रों में राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा किसान वर्ग, मजदूर वर्ग, पेंशनरों एवं छोटे-मझोले व्यवसाइयों को उनके आसपास ही बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। प्राइवेट बैंकों द्वारा इस तरह की सुविधाएं देना मुश्किल है, क्योंकि वर्तमान में जो भी प्राइवेट बैंक हैं उनका पूरा फोकस शहर एवं बड़े लोग हैं।
- एटीएम भी दे गए जवाब, खाली हाथ लौटे
वैवाहिक सीजन प्रारंभ होने जा रहा है, ऐसे में लोग इनदिनों बड़ी संख्या में खरीदी के लिए शहर आ रहे हैं। बैंक बंद होने की जानकारी ग्रामीण क्षेत्रों में सभी तक नहीं पहुंच पाई थी। इसलिए लोग सीधे शहर पहुंच गए तब उन्हें पता चला कि बैंक पूरी तरह से दो दिन के लिए बंद किए गए हैं। वहीं जो इस उम्मीद से शहर खरीदी के लिए पहुंचे थे कि एटीएम से राशि निकालेंगे वह भी खाली हाथ ही रहे। इसके पहले रविवार की वजह से अधिकांश एटीएम खाली हो गए थे, दो दिन तक हड़ताल की वजह से अधिकांश जगह राशि खत्म हो गई।
- आज से भीड़ जुटने की संभावना
दो दिनों तक बैंक बंद रहने से जब बुधवार को यह खुलेंगे तो ग्राहकों की बड़ी संख्या एक साथ पहुंच सकती है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि कोरोना का संक्रमण तेजी के साथ बढ़ रहा है, ऐसे में भीड़ को नियंत्रित करना चुनौती होगी लेकिन वह अपनी शाखाओं में पूर्व से ही इस तरह के प्रयास कर रहे हैं कि लोगों की भीड़ एकत्र नहीं होने पाए, जो आएं उनका काम करने के बाद वापस किया जाए।
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