सेमिनार में वर्तमान परिवेश में न्यायदान में अभिभाषकों की भूमिका विषय पर बोलते हुए न्यायमूर्ति ने सुजॉय पाल ने कहा कि न्याय सर्वोपरि है। न्यायाधीश अभिभाषकों के तर्कों व साक्ष्यों को सुनने के उपरांत फैसला देते हंै। ऐसे में अभिभाषक की भूमिका अहम होती है। बार व बेंच रथ के दो पहिया है। इनमें अगर समंजस्य नहीं होगा तो अवरोध पैदा होगा। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता मामलों में सटीक तथ्यों पर कानून की व्याख्या कर मामले में पीडि़त को जल्द न्याय दिला सकते हैं।
वहीं मध्यस्थता का विधिक जगत में महत्व के विषय में न्यायमूर्ति विजय शुक्ला ने कहा कि मध्यस्थता हमारे यहां प्राचीनकाल से चली आ रही है। रामायण में अंगद को रावण से मध्यस्थता करने के लिए भेजा गया था। इसी तरह महाभारत में मध्यस्थता का उल्लेख है। मामलोंं में पक्षकारों के बीच मध्यस्थता कराने से अधिवक्तओं के व्यवसाय में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसलिए अधिवक्तओं को मामले में मध्यस्थता कराने का प्रयास करना चाहिए। वकील, पक्षकार व न्यायालय साझा प्रयास करें तो बहुत से मामलों का जल्द निराकरण संभव है।
वहीं राज्य अधिक्ता परिषद के अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय ने भी बार व बेंच से मिलकर पीडि़त को न्याय दिलाने की बात कही। इस दौरान मुख्य रुप से जिला एवं सत्र न्यायधीश अरुण कुमार सिंह, राज्य अधिवक्ता परिषद के सदस्य सुशील तिवारी, घनश्याम सिंह, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र पांडेय, सचिव रामजी पटेल, न्यायधीशगण एवं संभागायुक्त अशोक भार्गव, आइजी चंचल शेखर, डीआई अविनाश शर्मा, कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव, एसपी आबिद खान सहित रीवा, सीधी, सतना व शहडोल के अधिवक्तागण उपस्थित रहे।
तथ्यों को छुपाना कपट-
विधिक सेमिनार में न्यायमूूॢत ने कहा कि अधिवक्ताओं को न्यायालय में तथ्यों को नहीं छुपाना चाहिए है। यह कपट की श्रेणी में आता है। तथ्यों को बताने के बावजूद पीडि़त को न्याय दिलाना कौशल है। साथ ही न्यायालयों की प्रतिष्ठा बचाने के लिए अधिवक्ता व बार दोनों को धैर्य से काम करने की जरुरत बताई।
वरिष्ठ अधिवक्ता हुए सम्मानित
राज्य अधिवक्ता परिषद ने ५० से अधिक उम्र के अधिवक्ताओं को सम्मानित किया है। इनमें रीवा, सतना , शहडोल एवं सीधी के अधिवक्ता शामिल हंै। सम्मानित होने वाले अधिवक्ताओं में घनश्याम सिंह, सुनील तिवारी, आरएस वर्मा, बृजेन्द्र प्रसाद मिश्रा, सुधांशु कुमार शर्मा, गोपाल सिंह परिहार, देवी प्रसाद वर्मा, सर्वेश राय सिंह, सीएम पटेल, एपी सिंह, राजेन्द्र , पदमधर पांडेय, केपी शर्मा, जगदीश प्रसाद वर्मा, प्रकाश नारायण शर्मा, सूर्य नारायण सिंह, तेज बहादुर सिंह, विनोद कुमार निगम, रामपाल तिवारी, अजीत सिंह सहित अन्य अधिवक्ता शामिल रहे।