श्रीराम ने मानवीय मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं किया
श्रीकृष्ण ने ऐसी लीलाएं की जिससे कभी कभी ऐसा लगा जैसे यह सामान्य मनुष्य हैं। इसी बात का भ्रम कंस, दुर्योधन, धृतराष्ट्र आदि को भी हुआ, इसलिए उनका विनाश हुआ। भगवान श्रीराम ने मानवीय मर्यादाओं का कभी उल्लंघन नहीं किया। मर्यादाओं में इतनी दूर तक बंधे रहे कि अपने दुश्मनों को भी पर्याप्त समय दिया। रावण को सुधार का समय दिया लेकिन जब उसमे कोई सुधार नहीं हुआ तो उसका अंत किया। राम ने आदर्श पति, आदर्श भाई, आदर्श पुत्र और यहां तक कि आदर्श शत्रु की मर्यादाओं को स्थापित किया। राम का चरित्र मानवीय इतिहास में अमर है जिसको न केवल भारतवासी और हिन्दू मानते हैं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के समस्त सम्प्रदाय धर्म जाति और वर्ग के लोग मानते हैं। आचार्य श्री ने बताया कि भरत जैसा चरित्र अनुकरणीय है।
श्रीकृष्ण ने ऐसी लीलाएं की जिससे कभी कभी ऐसा लगा जैसे यह सामान्य मनुष्य हैं। इसी बात का भ्रम कंस, दुर्योधन, धृतराष्ट्र आदि को भी हुआ, इसलिए उनका विनाश हुआ। भगवान श्रीराम ने मानवीय मर्यादाओं का कभी उल्लंघन नहीं किया। मर्यादाओं में इतनी दूर तक बंधे रहे कि अपने दुश्मनों को भी पर्याप्त समय दिया। रावण को सुधार का समय दिया लेकिन जब उसमे कोई सुधार नहीं हुआ तो उसका अंत किया। राम ने आदर्श पति, आदर्श भाई, आदर्श पुत्र और यहां तक कि आदर्श शत्रु की मर्यादाओं को स्थापित किया। राम का चरित्र मानवीय इतिहास में अमर है जिसको न केवल भारतवासी और हिन्दू मानते हैं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के समस्त सम्प्रदाय धर्म जाति और वर्ग के लोग मानते हैं। आचार्य श्री ने बताया कि भरत जैसा चरित्र अनुकरणीय है।
एतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत किया
भाई के रूप में जो ऐतिहासिक उदाहरण भरत ने प्रस्तुत किया है उससे भारत देश अमर हो गया। आर्य संस्कृति को अमर बना दिया। जब कलि के वशीभूत होकर सौतेली मां कैकेई ने राम को वनवास भेजने के लिए दशरथ से मांग की और भरत को राजगद्दी देने का हठ किया तो यह बात भरत को रास न आई। भरत ने अपनी सगी मां की भी अवहेलना कर डाली। कथा का समापन एवं भंडारा १३ अगस्त को होगा। कथा सुनने के लिए क्षेत्र के भारी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं।
भाई के रूप में जो ऐतिहासिक उदाहरण भरत ने प्रस्तुत किया है उससे भारत देश अमर हो गया। आर्य संस्कृति को अमर बना दिया। जब कलि के वशीभूत होकर सौतेली मां कैकेई ने राम को वनवास भेजने के लिए दशरथ से मांग की और भरत को राजगद्दी देने का हठ किया तो यह बात भरत को रास न आई। भरत ने अपनी सगी मां की भी अवहेलना कर डाली। कथा का समापन एवं भंडारा १३ अगस्त को होगा। कथा सुनने के लिए क्षेत्र के भारी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं।