अधिनियम बनाने के पीछे भी इस बात पर जोर दिया गया था कि सूचना पाने का अधिकार गांव में बैठे अंतिम छोर के व्यक्ति तक को मिलना चाहिए। अब गांवों की अपेक्षा शहरी क्षेत्र में इसके प्रति अधिक जागरुकता बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सूचना के लिए आवेदन लगाते हैं लेकिन अधिकांश को लोक सूचना अधिकारियों द्वारा अस्वीकार किया जा रहा है। इसलिए पहले यह जान लेना आवश्यक है कि एक आवेदन में वृहद जानकारी नहीं मांगी जाए। इससे अधिकारियों का भी समय खराब होता है।
अलग-अलग आवेदनों के माध्यम से जानकारी मांगी जा सकती है। सिंह ने कहा कि आरटीआई के माध्यम से गांव की तस्वीर बदली जा सकती है। उन्होंने एक उदाहरण रीवा के शिवानंद द्विवेदी का दिया और कहा कि दस रुपए का आरटीआई आवेदन उन्होंने लगाया तो सवालों से बचने के लिए विभाग ने दो दिन के भीतर हैंडपंप ही लगवा कर सूचना दे दी। इसी तरह अन्य कई स्थानों पर हुआ है। गांव में लोग जागरुक हों और सभी योजनाओं का हिसाब लें तो भ्रष्टाचार रुकेगा और गांव का तेजी के साथ विकास भी होगा।
इस दौरान एक्टिविष्ट एवं अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, शिवानंद द्विवेदी, बीके माला, अमित मिश्रा, शिवेन्द्र मिश्रा, स्वतंत्र शुक्ला, सुरेन्द्र पाण्डेय, राघवेन्द्र दुबे, सुरेन्द्र तिवारी, प्रदीप उपाध्याय, वमीस अंसारी, विनीता मिश्रा, संध्या मिश्रा, अमित शुक्ला, रामकृष्ण दुबे, अरुणेन्द्र पटेल के साथ ही रीवा जिले के अन्य आरटीआई एक्टिविष्ट के साथ ही जबलपुर, सतना अनूपपुर, शहडोल, इंदौर, भोपाल, बैतूल, झारखंड, महाराष्ट, राजस्थान आदि से भी कई एक्टिविष्ट वेबीनार में जुड़े और रीवा जिले के कार्य की सराहना की।
– सूचना से संतुष्ट नहीं हैं तो शिकायत करें
ग्रामीण क्षेत्रों के कई आरटीआई एक्टिविष्ट ने यह सवाल उठाया कि अधिकारी आवेदन ही नहीं लेते। वहीं कुछ ने कहा कि गलत सूचनाएं दी जाती हैं। कइयों ने यह भी कहा कि अपील में आयोग जानकारी देने का निर्देश देकर प्रकरण समाप्त कर देता है लेकिन इधर विभाग सही जानकारी नहीं देते। इस पर आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि इस तरह की परिस्थितियां निर्मित होने पर आयोग के पास शिकायत की जा सकती है। जिसमें अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। कुछ उदाहरण भी बताए कि किस तरह से कार्रवाई की गई है।
– धारा 4 में जानकारी प्रदर्शित करने का नियम
राज्य सूचना आयुक्त ने यह भी जानकारी दी कि पंचायतों से लेकर अन्य विभागों की जानकारियां अब वेबसाइट पर उपलब्ध होती हैं। अधिनियम की धारा ४ के तहत सामान्य जानकारी विभागों को वेबसाइट पर डालने का निर्देश है। इस पर यह सवाल उठाया गया कि कई बार गलत जानकारी वेबसाइट पर रहती है। इसके लिए कहा कि विभाग के प्रमुख से शिकायत कर उसे सुधरवाने का भी प्रयास करें। यहां जानकारी मिलने से आरटीआई आवेदन लगाने की संख्या भी कम हो सकती है।