इससे वाहन मालिक ठगा महसूस कर रहे है। वहीं परिवहन विभाग ने सभी वाहनों में नए स्पीड गवर्नर लगाने का निर्देश जारी कर दिया है। सडक़ हादसों में कमी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने २०१५ में सभी कमर्शियल वाहनों की स्पीड गवर्नर लगाने का आदेश दिया था। इसके अनुपालन में शासन ने कुछ कंपनियों को मॉडल के अनुरुप ट्रेड जारी किया। लेकिन यहां परिवहन विभाग के अधिकारियों ने एक ही कंपनी के स्पीड गवर्नर सभी मॉडल के वाहनों पर लगवा दिए। जिले में दो साल में लगभग 20 हजार से ज्यादा वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाए गए। शुरू में एक स्पीड गवर्नर के लिए 7 हजार रुपए वसूली की गई, अब वहीं स्पीड गवर्नर 3 हजार रुपए में लगाए जा रहे हैं। अगर स्पीड गवर्नर में 3500 रुपए मनमानी रूप से ज्यादा लिए गए तो लगभग सात करोड़ रुपए अवैध रूप से वसूले गए। इसके बाद भी खराब हो गए। यह हाल एक जिले का है। बताया जा रहा कि प्रदेश के कई जिलों में इसी तरह स्पीड गवर्नर लगाए गए हैं।
पहले 7 हजार, अब 3 हजार तक में लगा रहे
बिना स्पीड गवर्नर के परिवहन विभाग ने वाहनों में फिटनेस रोक दिए हैं। इसके चलते वाहन मलिक परिवहन कार्यालय में मुंह मांगे दाम पर स्पीड गवर्नर लगवा रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है एक साल पहले ७ हजार रुपए में लगने वाला स्पीड गवर्नर अब ३ हजार में लगाए जा रहे हंै।
आरटीओ ने भी जताई थी आपत्ति
वाहनों के लिए स्पीड गवर्नर की गुणवत्ता को लेकर तत्कालीन आरटीओ वीरेन्द्र सिंह ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि अधिकृत स्पीड गवर्नर वाहनों में काम नहीं कर रहे हंै।इसके बावजूद एक साल में कोई निर्णय नहीं हो पाया।
नए ट्रेड हुए अधिकृत
परिवहन विभाग ने वाहनों में स्पीड गवर्नर के लिए नए ट्रेड मॉडल के अनुसार कंपनियों को फिर से अधिकृत किया है। इसके लिए उनके ट्रेड नंबर परिवहन विभाग की साइट पर फीड किया गया है। अब वाहन मालिकों क ो नए स्पीड गवर्नर लगवाने पड़ रहे हैं।
पुराने लगाए गए स्पीड गवर्नर वाहनो में काम नहीं कर रहे हैं।इसके चलते अब नए स्पीड गवर्नर लगाए जा रहे हैं। इसके आधार पर ही वाहनों को फिटनेस जारी किया जाएगा।
अलीम खान, प्रभारी आरटीओ