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भाजपा नेता ने कहा दम घुटता है यहां, बंधुआ मजदूर बनकर नहीं रह सकता, मंत्री पर साधा निशाना, कांग्रेस की सदस्यता ली

locationरीवाPublished: Mar 05, 2018 10:33:46 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

कांग्रेस की सदस्यता लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा ने भाजपा की मुश्किलें बढ़ाई

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BJP leader says suffocation, can not stay here as bonded laborer

रीवा। विंध्य में भाजपा के बड़े नेता रहे पूर्व विधायक एवं रीवा जिला पंचायत के अध्यक्ष अभय मिश्रा ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली है। इसके पहले उन्होंने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर गंभीर आरोप भी लगाए। कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले अभय मिश्रा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान को एक पत्र लिखकर त्याग पत्र भेजा। जिसमें उल्लेख किया है कि सत्ता का केन्द्रीयकरण चरम पर है। लोकतंत्र सिर्फ चुनावी औपचारिकता तक सिमटकर रह गया है। मेरे जिले में पूरी पार्टी एवं सत्ता एक व्यक्ति की बंधुआ मजदूर की तरह हो गई है। शहर की बेशकीमती भूमि बिल्डर्स को बेची जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया से मैं आहत हूं।
मिश्रा का इशारा उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला पर है। उन्होंने यह भी कहा है कि मैं वैचारिक रूप से पार्टी की कार्यप्रणाली से सहमत नहीं हूं। आतंक और दमनचक्र की राजनीति से दूर जियो और जीने दो की नीति से जुडऩा चाहता हूं। इसके अलावा कांग्रेस में ज्वाइन करने के लिए राहुल गांधी को पत्र लिखा है, जिसमें कहा है कि गांधी जी के सपनों को साकार करने के लिए बिना शर्त पार्टी की सेवा के लिए तैयार हूं।
विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीतिक सरगर्मी तेज

भाजपा के भीतर रहकर लंबे समय से उपेक्षा का भाव झेल रहे जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा ने आखिरकार पार्टी से नाता तोड़ लिया है। दिल्ली में बड़े नेताओं की मौजूदगी में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता लेकर नई राजनीतिक पारी खेलने का ऐलान किया है। इसकी अटकलें पहले से भी लगाई जा रही थीं कि जिस तरह से उनके और संगठन के बीच आंतरिक तकरार चल रही है, ऐसे में अधिक दिन तक वह भाजपा में नहीं रह पाएंगे। पहले भी कांग्रेस नेताओं के साथ मिश्रा की तस्वीरें वायरल होती रही हैं जिससे उनके जाने के संकेत मिलते रहे हैं। इसी के चलते पार्टी ने उनसे किनारा कर लिया था। उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला से उनका खुलकर विवाद सामने आता रहा है। कई बार सार्वजनिक मंचों से भी अभय ने आरोप लगाया था कि रीवा जिले में भाजपा एक नेता के यहां गिरवी हो गई है। इसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा है। समय-समय पर उनके खिलाफ पार्टी के नेता बयानबाजी करते रहे हैं और प्रशासनिक रूप से उनके व्यावसायिक कारोबार पर दबाव बनाने का प्रयास किया जाता रहा है।
भाजपा टिकट काटा तो पत्नी को दिलाया
विधानसभा के 2013 के चुनाव में सिटिंग विधायक होने के बावजूद अभय मिश्रा का टिकट पार्टी ने काट दिया था। उस दौरान मंत्री और इनके बीच का विवाद उभरकर सामने आया था। हालांकि उस दौरान राजनीतिक दांव खेलकर अपनी पत्नी नीलम मिश्रा को टिकट दिलाया और जीत भी हासिल की। इसके बाद से वह संगठन के समानांतर काम करने लगे और सरकार की मुश्किलें बीच-बीच में बढ़ाते रहे।
बिल्डिंग अवैध घोषित कर गिराने की थी तैयारी
रीवा नगर निगम में भाजपा की सत्ता है। ऐसे में अभय की पत्नी विधायक नीलम मिश्रा के नाम पर विश्वविद्यालय मार्ग में बनाए जा रहे शॉपिंग काम्प्लेक्स का निगम ने अवैध निर्माण घोषित कर गिराने की तैयारी कर ली थी। विधायक ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष से भी की थी। बाद में 19.65 लाख रुपए का जुर्माना लगाने के बावजूद भवन को गिराने का निर्देश जारी किया गया था। इस पर कोर्ट ने राहत दी थी। यह विवाद भी भाजपा से दूरी बनाने का प्रमुख कारण बना।
पंचायत प्रतिनिधियों का आंदोलन चलाकर आए सुर्खियों में
भाजपा के बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद जिला पंचायत सदस्य और फिर अध्यक्ष का चुनाव जीता। इसके बाद से त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार दिलाने के लिए प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन खड़ा किया। वर्ष २०१६ में प्रदेश के हर जिले से सरकार के खिलाफ आवाज उठने लगी थी। जिसके चलते भाजपा ने पार्टी से बाहर कर दिया। कुछ समय के बाद भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार चौहान से चर्चा के बाद फिर से भाजपा कर ली।
प्रशासन से भी रही तकरार
ऐसा नहीं रहा कि अभय का विवाद केवल भाजपा नेताओं तक सीमित रहा हो। उन पर प्रशासनिक दबाव भी बनाया गया। पूर्व में कलेक्टर रहे राहुल जैन और उनके बीच खुलकर विवाद सामने आया। कलेक्टर ने जिला पंचायत के कई अधिकार अपने पास ले लिए थे। इस हस्तक्षेप के चलते वह मंत्री, सांसद और कलेक्टर के खिलाफ बोलते रहे।
जब भी विरोध किया बनाया गया दबाव
अभय मिश्रा ने जब भी भाजपा नेताओं के खिलाफ कुछ बोला उन पर हर तरह से दबाव बनाने का प्रयास किया गया। उनकी कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किए जा रहे कार्यों की जांच के लिए सरकार ने विशेष टीम भोपाल से भेजी थी। सांसद जनार्दन मिश्रा स्वयं बनकुइयां मार्ग में सड़क की गुणवत्ता खराब होने का आरोप लगाते हुए धरना दे दिया था। अन्य कई कार्यों की जांच करने सांसद स्वयं पहुंचते रहे हैं। रेलवे स्टेशन के पास बनाए गए मकान में नाले की भूमि पर कब्जे का आरोप लगाते हुए घर के भीतर तक नापजोख की गई, हालांकि उन्होंने स्वयं नाले पर अतिक्रमण मानते हुए अपना कब्जा हटा लिया था। कुछ दिन पहले ही सामूहिक विवाह समारोह में जिला प्रशासन ने अध्यक्ष का नाम तक आमंत्रण पत्र में नहीं लिखाया था।
पहले भी रहे कांग्रेस में
शुरुआती राजनीति अभय ने कांग्रेस पार्टी से ही की थी। पार्षद के लिए चुनाव भी लड़े जिसमें हार हुई। इसके बाद 200-03 में सिरमौर के जनपद अध्यक्ष चुने गए। प्रदेश में बढ़ती भाजपा की लोकप्रियता को देख सदस्यता ली थी और 2008 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस के बड़े नेता राजमणि पटेल को हराकर सबको चौंका दिया था। समय के साथ राजनीतिक करवट लेने वाले नेता के रूप में इनकी पहचान बनी है।
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