विधायक नीलम मिश्रा ने मीडिया से रूबरू होकर बताया कि रीवा के सासंद जर्नादन मिश्रा और प्रदेश के मंत्री राजेन्द्र शुक्ल द्वारा उनके विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों में लगातार बाधा डाली जा रही थी। इन्होंने हर कार्य में अड़चन पैदा की। सांसद जर्नादन मिश्र अपना बर्चस्व कायम करने के लिए हमेशा उनके खिलाफ रहे। यही कारण रहा कि विधायक निधि के अलावा अन्य एक भी कार्य विधानसभा क्षेत्र के अंदर नहीं होने दिया। जहां पार्टी के लोग ही विरोध कर रहे हैं, वहां रहने का क्या फायदा। इसलिए मैंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।
पांच साल अपमानित होकर बिताए
विधायक नीलम ने बताया कि उन्होंने बीजेपी में रहकर पांच साल तक अपमानित होकर बिताए। मेरे पति का केवल इतना दोष था कि भाजपा में उनको सम्मान नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी और आम जनता के लिए काम कर रहे थे। लेकिन उनको लगातार परेशान किया गया। मेरा धर्म है कि मैं पति के आदर्शों पर चलूं। इसलिए अब मैं अपने पति के प्रचार में लग जाऊंगी।
विधायक नीलम ने बताया कि उन्होंने बीजेपी में रहकर पांच साल तक अपमानित होकर बिताए। मेरे पति का केवल इतना दोष था कि भाजपा में उनको सम्मान नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी और आम जनता के लिए काम कर रहे थे। लेकिन उनको लगातार परेशान किया गया। मेरा धर्म है कि मैं पति के आदर्शों पर चलूं। इसलिए अब मैं अपने पति के प्रचार में लग जाऊंगी।
नहीं बनने दिया भाजपा का सदस्य
विधायक नीलम मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया कि उनको सांसद जर्नादन मिश्रा ने भाजपा का सदस्य तक नहीं बनने दिया। पहले वे जिलाध्यक्ष रहे तो आवेदन नहीं कराया। जब विद्याप्रकाश अध्यक्ष बने तो राजेन्द्र शुक्ल के कहने पर वे पार्टी कार्यालय दस बार गईं लेकिन उनका सदस्यता का आवेदन फार्म नहीं भराया गया। इसके लिए उन्होंने सांसद जर्नादन की ओझी राजनीति को जिम्मेदार ठहराया। विधायक ने बताया कि वे किसी भी पार्टी में नहीं जा रही हैं, केवल अपने पति अभय मिश्रा के चुनाव प्रचार में लगेंगी। बता दें कि अभय मिश्रा रीवा विधानसभा क्षेत्र से मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
विधायक नीलम मिश्रा ने यह भी आरोप लगाया कि उनको सांसद जर्नादन मिश्रा ने भाजपा का सदस्य तक नहीं बनने दिया। पहले वे जिलाध्यक्ष रहे तो आवेदन नहीं कराया। जब विद्याप्रकाश अध्यक्ष बने तो राजेन्द्र शुक्ल के कहने पर वे पार्टी कार्यालय दस बार गईं लेकिन उनका सदस्यता का आवेदन फार्म नहीं भराया गया। इसके लिए उन्होंने सांसद जर्नादन की ओझी राजनीति को जिम्मेदार ठहराया। विधायक ने बताया कि वे किसी भी पार्टी में नहीं जा रही हैं, केवल अपने पति अभय मिश्रा के चुनाव प्रचार में लगेंगी। बता दें कि अभय मिश्रा रीवा विधानसभा क्षेत्र से मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।