मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम १९५६ की धारा १३१(क) में उल्लेख किया गया है कि प्रथम सम्मिलन या उसके पश्चातवर्ती सम्मिलन में लेखा समिति का गठन किया जाएगा। निगम का बजट प्रस्तुत करने से पहले लेखा समिति का सुझाव लिए जाने का भी नियम है। इसके अलावा लेनदेन के लेखों की समीक्षा भी समिति को करने का अधिकार दिया गया है। समिति का गठन नहीं होने की वजह से नियमों का पालन नहीं हो रहा है।
लेखा समिति निगम के कामकाज पर समीक्षा के दौरान सवाल भी उठा सकती है। भुगतान के मामलों में यदि नियमों की अनदेखी की जा रही है तो कुछ समय के लिए उस पर रोक भी लगाई जा सकती है। इस समिति में मेयर इन काउंसिल के सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता। निर्वाचित पार्षदों में सात सदस्यों का चयन होता है, इसी में से एक को चेयरमैन चुना जाता है। बताया जाता है कि समानांतर रूप से यह समिति काम करती है इस कारण सत्ताधारी दल गठन के प्रति रुचि नहीं रखता। रीवा के साथ ही प्रदेश के अन्य कई नगरीय निकायों में इस समिति का गठन नहीं हुआ है।
नगर निगम में विपक्ष ने पिछले वर्ष भी बजट के दौरान यह सवाल उठाया था कि लेखा समिति का गठन हुआ नहीं है और उसके बिना अनुमोदन बजट अमान्य है। विपक्ष के नेता ने इसकी शिकायत भी की थी लेकिन कोई कार्रवाई नगर निगम प्रशासन की ओर से नहीं की गई। उस दौरान महापौर ममता गुप्ता ने भी कहा था कि यदि निगम के अधिकारियों की ओर से प्रस्ताव तैयार किया जाता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। वह हर कार्य पारदर्शी तरीके से कराना चाहती हैं।
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हमारे कार्यकाल के पहले क्या बातें उठी इसकी जानकारी नहीं है। लेखा समिति के गठन के बारे में जानकारी लेने के बाद ही इस पर कुछ कह पाऊंगा। नियम में जो भी होगा उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे।
आरपी सिंह, आयुक्त नगर निगम