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नौ साल से पेश किए जा रहे इस बजट पर बड़ा सवाल, इन तथ्यों के आधार पर बताया गया अप्रासंगिक

locationरीवाPublished: Jan 16, 2019 12:45:59 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– शिकायत के बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने समिति गठित नहीं करने का पूछा कारण- आय-व्यय से जुड़ी हर जानकारी लेखा समिति के समक्ष रखी जानी चाहिए

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रीवा। नगर निगम हर वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने के पहले अपना बजट पेश करता है। इसके परीक्षण के लिए जो नियम बनाए गए हैं उनका पालन नहीं किया जा रहा है।
करीब नौ वर्षों से लगातार पेश हो रहे बजट का अनुमोदन करने वाली लेखा समिति का ही गठन अब तक नहीं हो सका है। समिति गठन की मांग कई बार उठाई गई लेकिन हर बार आश्वासन दिया जाता रहा लेकिन समिति का गठन अब तक नहीं हुआ है। वर्तमान निगम परिषद के कार्यकाल के चार वर्ष पूरे हो चुके हैं। आखिरी के एक वर्ष में करीब चार महीने से अधिक का समय लोकसभा चुनाव में बीत जाएगा और फिर कुछ महीने के बाद निगम के महापौर और पार्षदों के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो जाएगी।
ऐसे में लेखा समिति का गठन हो पाना अब भी मुश्किल दिख रहा है। पूर्व में तत्कालीन महापौर वीरेन्द्र गुप्ता ने स्वयं पहल करते हुए समिति का गठन कराया था। उनके कार्यकाल के बाद से बिना लेखा समिति के ही काम चल रहा है। महापौर रहे शिवेन्द्र पटेल के कार्यकाल के पांच साल बीत गए और अब ममता गुप्ता के कार्यकाल के चार साल पूरे हो गए हैं लेकिन लेखा समिति का गठन नहीं किया गया है। कुछ महीने पहले वार्ड 12 के पार्षद विनोद शर्मा निगम के सामने धरने पर बैठे तो आश्वासन दिया गया था कि गठन की प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है। इसके पहले वार्ड 11 के पार्षद सज्जन पटेल और 13 की नम्रता सिंह ने भी समिति गठन की मांग उठाई थी।
समिति गठन का यह है नियम
मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम १९५६ की धारा १३१(क) में उल्लेख किया गया है कि प्रथम सम्मिलन या उसके पश्चातवर्ती सम्मिलन में लेखा समिति का गठन किया जाएगा। निगम का बजट प्रस्तुत करने से पहले लेखा समिति का सुझाव लिए जाने का भी नियम है। इसके अलावा लेनदेन के लेखों की समीक्षा भी समिति को करने का अधिकार दिया गया है। समिति का गठन नहीं होने की वजह से नियमों का पालन नहीं हो रहा है।
समानांतर समिति नहीं चाहता सत्ता पक्ष
लेखा समिति निगम के कामकाज पर समीक्षा के दौरान सवाल भी उठा सकती है। भुगतान के मामलों में यदि नियमों की अनदेखी की जा रही है तो कुछ समय के लिए उस पर रोक भी लगाई जा सकती है। इस समिति में मेयर इन काउंसिल के सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता। निर्वाचित पार्षदों में सात सदस्यों का चयन होता है, इसी में से एक को चेयरमैन चुना जाता है। बताया जाता है कि समानांतर रूप से यह समिति काम करती है इस कारण सत्ताधारी दल गठन के प्रति रुचि नहीं रखता। रीवा के साथ ही प्रदेश के अन्य कई नगरीय निकायों में इस समिति का गठन नहीं हुआ है।
विपक्ष ने बजट पर उठाए थे सवाल
नगर निगम में विपक्ष ने पिछले वर्ष भी बजट के दौरान यह सवाल उठाया था कि लेखा समिति का गठन हुआ नहीं है और उसके बिना अनुमोदन बजट अमान्य है। विपक्ष के नेता ने इसकी शिकायत भी की थी लेकिन कोई कार्रवाई नगर निगम प्रशासन की ओर से नहीं की गई। उस दौरान महापौर ममता गुप्ता ने भी कहा था कि यदि निगम के अधिकारियों की ओर से प्रस्ताव तैयार किया जाता है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। वह हर कार्य पारदर्शी तरीके से कराना चाहती हैं।

हमारे कार्यकाल के पहले क्या बातें उठी इसकी जानकारी नहीं है। लेखा समिति के गठन के बारे में जानकारी लेने के बाद ही इस पर कुछ कह पाऊंगा। नियम में जो भी होगा उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे।
आरपी सिंह, आयुक्त नगर निगम
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