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रीवा

शहर में नदियों का रेड जोन चिन्हित नहीं कर पाया प्रशासन, बाढ़ आई तो होगा संकट

– जलसंसाधन विभाग ने रीवा शहर से गुजरने वाली बिछिया और बीहर नदियों का बाढ़ प्रभावित हिस्सा चिन्हित करने दिया था निर्देश- बाढ़ के दिनों में व्यवस्था बनाने में होती है समस्या, सरकार ने छह महीने पहले मांगी थी रिपोर्ट

रीवाJul 16, 2020 / 10:53 am

Mrigendra Singh

rewa

catchment aria beehar and bichhiya river, demarcation flood zone


रीवा। शहर के मध्य से गुजरने वाली बीहर और बिछिया नदियों के बहाव वाले क्षेत्र को चिन्हित करने की योजना पर काम नहीं हो सका है। जिसकी वजह से आने वाले दिनों में तेज बारिश के दौरान बाढ़ जैसे हालात निर्मित होने की आशंका बनेगी। पूर्व के वर्षों में कई बार ऐसी स्थिति सामने आई है जब बीहर और बिछिया नदियों में बारिश के दौरान अधिक मात्रा में पानी आने के चलते शहर में बाढ़ आ गई थी, जिसमें हजारों की संख्या में लोग प्रभावित हुए थे।
नदियों के किनारे बसती कालोनियों को लेकर एनजीटी के निर्देश के बाद केन्द्र सरकार ने रिपोर्ट मांगी थी। जिसके बाद मध्यप्रदेश के जलसंसाधन विभाग को 22 चिन्हित नदियों के फ्लड एरिया का चिन्हांकन करना था। इसमें रीवा शहर की बीहर और बिछिया नदियां शामिल हैं।
इसी तरह चाकघाट में टमस नदी का फ्लड एरिया चिन्हित करना था। पूर्व में जलसंसाधन विभाग के क्योंटी नहर संभाग ने इसकी तैयारी की थी लेकिन मार्च महीने में लॉकडाउन की वजह से सारी गतिविधियां ठप हो गई थी। फ्लड जोन चिन्हित करने का कार्य भी नहीं हो सका। अब बरसात शुरू हो गई है, इसलिए ग्राउंड लेवल पर निर्देशानुसार सर्वे कर पाना मुश्किल होगा।
– नदियों के ग्रीन जोन में बस गई कालोनियां
शहर में बिछिया और बीहर दोनों नदियों अतिक्रमण का शिकार हुई हैं। इन नदियों का ग्रीन जोन 30 से 50 मीटर तक का चिन्हित किया गया है। नदियों के किनारे खाली स्थान पर अतिक्रमण करते हुए लोगों ने कालोनियां बसा डाली हैं। इतना ही नहीं प्रशासनिक उदासीनता की वजह से नदी के किनारे सरकारी भूमि पर कई लोगों के पास पट्टे भी मिल गए हैं। इस कारण ग्रीन जोन खाली करा पाना मुश्किल होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस मामले की सुनवाई चल रही है, जहां पर देशभर की नदियों के कैचमेंट एरिया की समीक्षा की जा रही है।

– बहाव के लिए जगह नहीं होने से शहर में घुसा था पानी
नदियों के किनारे अतिक्रमण के चलते पानी के बहाव के लिए स्थान नहीं मिल पाता है। वर्ष 2016 में 19 एवं 20 अगस्त को नदियों के किनारे स्थित मोहल्लों में जलभराव हुआ था। पानी निकलने के लिए स्थान नहीं होने से दूसरे हिस्सों में भी पानी पहुंच गया था। बीहर में छोटी पुल पर पानी के चलते यह सड़क होते हुए बस स्टैंड, सिविल लाइन थाने आदि के क्षेत्र में पहुंच गया था। उस दौरान शहर में नदियों के पानी के हुए फैलाव को आधार बनाकर सर्वे किया जाना है। संबंधित क्षेत्रों को चिहिन्त कर शासन को रिपोर्ट भेजी जानी है, इसके बाद वहां से तय होगा कि फ्लड जोन में बने मकानों को हटाकर ग्रीन एरिया विकसित होगा या फिर किसी अन्य तरह की योजना लागू होगी। यह सब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और शासन के स्तर पर तय होना है।
– नदियों का मूल स्वरूप लौटाने की तैयारी
जलसंसाधन विभाग के पास आए निर्देश में कहा गया है कि नदियों का मूल स्वरूप लौटाए जाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल समीक्षा कर रहा है। इसी के तहत पहले उन्हीं नदियों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां पर प्रदूषण और अतिक्रमण सबसे अधिक है। देश की सबसे अधिक प्रदूषित नदियों में रीवा शहर की बिछिया नदी को भी शामिल किया गया है। इसके लिए विशेष कार्ययोजना बनाने के लिए कहा गया है। अलग-अलग विभागों की ओर से योजनाएं बनाई जा रही हैं। जलसंसाधन विभाग ने ११ लाख रुपए का प्रस्ताव तैयार किया है, जिससे क्योंटी नहर का पानी नदी से जोड़ा जाएगा। वहीं नगर निगम में २१४ करोड़ रुपए की सीवरेज प्रोजेक्ट योजना चल रही है। इससे प्रदूषित नालों को नदी में मिलने से रोका जाएगा।
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नदी के फ्लड जोन का डिमार्केशन कर टोपो फार्मेट पर शासन को भेजा गया है। वहां से निर्देश आने के बाद ग्राउंड लेवल पर सर्वे किया जाना है। हमसे जो जानकारी मांगी गई थी, उसे भेज दिया है। लॉकडाउन की वजह से कुछ विलंब हुआ था।
मनोज तिवारी, कार्यपालन यंत्री क्योंटी नहर संभाग

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