ऐसे होती हैं तस्करी, बेशकीमती है लकडिय़ां
चंदन के पेड़ों को तस्करों द्वारा बड़ी सफाई से काटा जाता है। पेड़ों को आरी से काटने के बाद उसके मोटे भाग की छाल को निकाल देते है। उसके अंदर मौजूद चंदन के भाग को निकाल लेते हैं। उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके बैग व शूटकेश में भरकर रातोंरात उसे जिले की सीमा से पार पहुंचा देते हंै। पेड़ के अंदर वाला भाग दस से पन्द्रह हजार रुपए किलो बिकता है।
चंदन के पेड़ों को तस्करों द्वारा बड़ी सफाई से काटा जाता है। पेड़ों को आरी से काटने के बाद उसके मोटे भाग की छाल को निकाल देते है। उसके अंदर मौजूद चंदन के भाग को निकाल लेते हैं। उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके बैग व शूटकेश में भरकर रातोंरात उसे जिले की सीमा से पार पहुंचा देते हंै। पेड़ के अंदर वाला भाग दस से पन्द्रह हजार रुपए किलो बिकता है।
निजी लोगों के भी कटे चंदन के पेड़
तस्करों ने सिर्फ चंदन बाग को ही नहीं उजाड़ा बल्कि निजी लोगों के घरों से भी काफी संख्या में चंदन के पेड़ काटे गए है।गढ़, सिगटी, बाबूपुर, धाराबीभा, डिलहा के अलावा मनगवां, गोविन्दगढ़, सिटी कोतवाली, सिविल लाइन, लौर, नईगढ़ी सहित अन्य थाना क्षेत्रों से काफी संख्या में पेड़ कटे है। गोविन्दगढ़ व रीवा में स्थित किला में भी चंदन के काफी पेड़ लगे थे जिनको तस्कर काट ले गए। शहर के सिविल लाइन इलाके में अधिकारियों के बंगलों, राजनिवास व जयंतीकुंज से पेड़ काटे गए हंै।
तस्करों ने सिर्फ चंदन बाग को ही नहीं उजाड़ा बल्कि निजी लोगों के घरों से भी काफी संख्या में चंदन के पेड़ काटे गए है।गढ़, सिगटी, बाबूपुर, धाराबीभा, डिलहा के अलावा मनगवां, गोविन्दगढ़, सिटी कोतवाली, सिविल लाइन, लौर, नईगढ़ी सहित अन्य थाना क्षेत्रों से काफी संख्या में पेड़ कटे है। गोविन्दगढ़ व रीवा में स्थित किला में भी चंदन के काफी पेड़ लगे थे जिनको तस्कर काट ले गए। शहर के सिविल लाइन इलाके में अधिकारियों के बंगलों, राजनिवास व जयंतीकुंज से पेड़ काटे गए हंै।
इत्र बनाने के लिए तस्कर करते हैं उपयोग
चंदन के पेड़ों का उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता है। दरअसल उ.प्र. कन्नौज से काफी संख्या में लोग इत्र बेंचने के लिए आते हैं जो गांव-गांव घूमते हैं। जहां भी इनको चंदन के पेड़ होने की सूचना मिलती है उसे तस्करों के साथ मिलकर कटवा देते है। पूर्व में पुलिस ने कन्नौज के शातिर तस्कर कुंवरपाल बंजारा को पकड़ा था जो इत्र के व्यापारियों के लिए चंदन की लकडिय़ां बेंचता था।
चंदन के पेड़ों का उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता है। दरअसल उ.प्र. कन्नौज से काफी संख्या में लोग इत्र बेंचने के लिए आते हैं जो गांव-गांव घूमते हैं। जहां भी इनको चंदन के पेड़ होने की सूचना मिलती है उसे तस्करों के साथ मिलकर कटवा देते है। पूर्व में पुलिस ने कन्नौज के शातिर तस्कर कुंवरपाल बंजारा को पकड़ा था जो इत्र के व्यापारियों के लिए चंदन की लकडिय़ां बेंचता था।
पुन: गिरोह ने दी दस्तक, पुलिस की नींद उड़ी
पिछले कुछ वर्षों तक खामोश रहने वाले इस गिरोह ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। करीब पन्द्रह दिन पूर्व सिविल लाइन थाने के जयंती कुंज व मनगवां थाने के जरहा गांव निवासी लालबहादुर सिंह के घर में लगे तीन-तीन चंदन के पेड़ तस्करों ने काटकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस गिरोह के निशाने पर जिले के अन्य चंदन के पेड़ भी हो सकते हंै जिसको लेकर पुलिस अलर्ट हो गई है। हालांकि हाल ही में हुई इन दोनों घटनाओं के आरोपियों का पता नहीं चला है।
पिछले कुछ वर्षों तक खामोश रहने वाले इस गिरोह ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। करीब पन्द्रह दिन पूर्व सिविल लाइन थाने के जयंती कुंज व मनगवां थाने के जरहा गांव निवासी लालबहादुर सिंह के घर में लगे तीन-तीन चंदन के पेड़ तस्करों ने काटकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इस गिरोह के निशाने पर जिले के अन्य चंदन के पेड़ भी हो सकते हंै जिसको लेकर पुलिस अलर्ट हो गई है। हालांकि हाल ही में हुई इन दोनों घटनाओं के आरोपियों का पता नहीं चला है।